18वीं एवं 19वीं शताब्दी में ये लोग सिर्फ लूट-मार करते थे। पानीपत के तीसरे युद्ध के पश्चात ये लोग मालवा में बस गये तथा सिंधिया, होल्कर एवं निजाम के सहायक सैनिक बन गए। 1794 ई० में सिंधिया ने इन्हें नर्मदा…
History
आंग्ल-सिख संघर्ष – प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय
आंग्ल-सिख युद्ध- प्रथम (1845-46 ई०) रणजीत सिंह कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद पंजाब में एक स्थायी सिख राज्य स्थापित नहीं कर सका | रणजीत सिंह ने अपने पीछे 40000 सैनिकों का जत्था छोड़ा था, जिसने पंजाब में अराजकता फैलायो। सैनिकों…
आंग्ल-मराठा युद्ध तृतीय व चतुर्थ
आंग्ल-मराठा युद्ध – III (1804-06 ई०) लॉर्ड वेलेस्ली के सामने मराठा संघ की शक्तियों में तीन पेशवा, सिंधिया एवं भोंसले तो नतमस्तक हो गए परंतु होल्कर अभी शेष था होल्कर उन दिनों अंग्रेजों के मित्र राज्य जयपुर में लूट-मार मचा…
18वीं शताब्दी में भारत की राजनीतिक स्थिति
18वीं शताब्दी में भारत की राजनीतिक स्थिति 1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात मुगल साम्राज्य का पतन आरंभ हो गया। 1739 ई० एवं 1747 ई० में क्रमश: नादिरशाह 811 18वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के एवं अहमद शाह…
बंगाल का विभाजन (Partition of Bengal) कैसे हुआ ?
बंगाल का विभाजन (Partition of Bengal) 16 अक्टूबर, 1905 ई०; 19वीं शताबदी के अंत में बंगाल प्रांत में असम बिहार एवं उडीसा शामिल थे। उस काल में इसका क्षेत्रफल 189000 वर्ग मील था तथा इसकी जनसंख्या 8 करोड़ थी। प्रत्यक्ष…
स्वतन्त्रता आंदोलन का द्वितीय चरण
द्वितीय चरण (1905-11 ई०) इस काल को उग्रवादी राष्ट्रीयता का युग कहा जाता है ! 1892 ई० में पारित ‘इंडिया काउंसिल एक्ट’ सुधारों के दृष्टिकोण से अपूर्ण एवं अपर्याप्त थे। 1876 ई० से 1900 ई० तक पड़े 18 अकालों के…
स्वतन्त्रता आंदोलन का प्रथम चरण
प्रथम चरण (1885-1905 ई०) इस काल को उदारवादी राष्ट्रीयता का युग भी कहा गया है ! कांग्रेस की स्थापना के बाद, अगले 20 वर्षों तक उसको नीति अत्यंत उदार थी। इसे बाद के उग्रपंथी नेताओं ने राजनीतिक भिक्षावृत्ति (Political Mendicancy) कहा।…
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 ई० को 12 बजे दिन में बंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुई। इसमें पहले अधिवेशन में कुल 72 प्रतिनिधि शामिल हुए। इसकी स्थापना के…
स्वतन्त्रता आंदोलन में आरंभिक राजनीतिक संगठन
1836 ई० में राजा राम मोहन राय के अनुयायियों ने पहली राजनीतिक संस्था बंग प्रकाशक सभा की स्थापना की। 1838 ई० में बंगाल के जमींदारों ने लैंड होल्डर्स सोसायटी की स्थापना की। 1843 ई० में एक अन्य राजनीतिक सभा बंगाल ब्रिटिश…
खालसा पंत | सिखों का उदय (RISE OF SIKHS)
सिख शब्द का अर्थ होता है ‘शिक्षा प्राप्त करने वाला’ अथवा ‘शिष्य’। सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक ने की। 1496 ई० की कार्तिक पूर्णीमा को नानक को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हुई। गुरु नानक सिखों के पहले गुरु हुए।…
मराठा राज्य | शिवाजी के नेतृत्व में मराठों का उदय
मराठों का उत्थान 17 वीं शताब्दी में मराठों का उत्थान हुआ वास्तव में दक्षिण भारत में चलने वाले सामाजिक धार्मिक जागरण का परिणाम था इस क्षेत्र ने अपनी भौगोलिक क्षेत्रता का लाभ मराठों को प्रदान किया इसके फलस्वरुप कुशल नेतृत्व…
सूर साम्राज्य | शेरशाह सूरी का इतिहास
शेरशाह सूरी का परिचय सूर वंश की स्थापना शेरशाह सूरी ने की इसका बचपन का नाम फरीन था और इसके पिता का नाम हसन था, जौनपुर के खाने आजम जो कि वहाँ के शासक थे जिनका नाम था जमाई खाँ…
मुगल प्रशासन (MUGHAL ADMINISTRATION)
मुगल शासन-प्रणाली में केंद्रीयकृत नौकरशाही की प्रमुखता थी। मुगल प्रशासन में सम्राट सभी विभागों का प्रधान होता था। उसे उदार निरंकुश कहा जा सकता है। प्रशासन में बादशाह की मदद के लिए एक मंत्रिपरिषद होती थी, परंतु वह उसकी सलाह…
मुगलों का पतन – पूरी जानकारी
औरंगजेब की मृत्यु औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया था औरंगजेब ने किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात उसके तीनों पुत्र मुअज्जम, आजम, कामबख्श में युध्द…
औरंगजेब (जिंदा पीर ) का इतिहास
मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर 1618 ई. को उज्जैन के पास दोहद नामक स्थान पर हुआ था | 1633 ई. में सुधाकर नामक हाथी को घायल करने के कारण शाहजहां ने उसे बहादुर की उपाधि दी | 1636…
शाहजहाँ- ताज महल का निर्माता
शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर में हुआ था, इसके बचपन का नाम खुर्रम था ,शाहजहाँ का खुर्रम नाम अकबर ने रखा था खुर्रम का अर्थ होता है आनंददायक , शाहजहाँ की माता का नाम जोधाबाई था जो…