रस के भेद
- रसों की संख्या 9 मानी जाती है
श्रृंगार रस
-इसका स्थाई भाव रति है
- नायक नायिका के सौंदर्य तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रंगार रस कहते हैं श्रंगार के दो भेद होते हैं
संयोग श्रृंगार
- जहां नायक-नायिका के मिलन का वर्णन होता है वहां सहयोग श्रंगार होता है |
- जैसे बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय, कहां करें, भौंहनी हंसे, दैन कहै, नटि जाय |
वियोग श्रृंगार
- जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है |
जैसे निस दिन बरसत नैन हमारे | सदा रहत पावस ऋतु हम पे जबते स्याम सिधारे |
हास्य रस
इसका स्थाई भाव हास है
- जहां विकृत आकार, वेश-भूषा, चेष्टा आदि के वर्णन से उत्पन्न हास्य को हास्य रस कहा जाता है |
- जैसे – तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेम प्रताप, साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप, घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता, धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता
करुण रस
स्थाई भाव शौक है
- किसी प्रिय व्यक्ति के चिन्ह बिरहा से उत्पन्न होने वाली चौक अवस्था के परिपाक को करुणा रस कहते हैं |
- जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी | रूपु सीलु बलु तेज बखानी | करहिं मिलाप अनेक प्रकार | परहिं भूमि तल बारहिं बारा ||
वीर रस
स्थाई भाव उत्साह है
- उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत होता है तब वही वीर रस होता है |
- जैसे – वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो | सामने पहाड़ हो किसी की दहाड़ हो | तुम कभी रूको नहीं तुम कभी झुको नहीं ||
रौद्र रस
– इसका स्थाई भाव क्रोध है |
- किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न क्रोध के भाव को रौद्र रस कहते हैं |
- जैसे अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू | उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू |
भयानक रस
– इसका स्थाई भाव भय है|
- किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न भय की अवस्था को भयानक रस कहते हैं |
- जैसे उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी | चली आ रही फेंन उगलती, फेंन फैलाएं व्यालो सी ||
वीभत्स रस
– इसका स्थाई भाव जुगुप्ता है
- जुगुप्ता स्थाई भाव जब अनुभाव, विभाव आदि के द्वारा परिपक्व अवस्था में पहुंच जाए, वीभत्स रस कहलाता है |
- जैसे – सिर पर बैठ्यो काग आंख दोउ खात निकारत खीचत जीभाहिं स्यार अतिहि आनंद उर धारत | गीध जांघि को खोदि-खोदि कै मांस उपारत स्वान आंगुरित काटी-काटी कै खात विदारत ||
अद्भुत रस
– इसका स्थाई भाव आश्चर्य है
- आश्चर्यजनक वर्णन के द्वारा उत्पन्न निभावो की अवस्था को अद्भुत रस कहते हैं |
- जैसे – देख यशोदा शिशु के मुख में सकल विश्व की माया | क्षणभर को वह बनी अचेतन हिल न सकी कोमल काया ||
शांत रस
– इसका स्थाई भाव निर्वेद है |
- अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो जाता है |
- जैसे – मन रे तन कागद का पुतला | लागे बूंद बिनसि जाय छिन में, गरब करें क्या इतना ||
मुख्य विषय | |||
ज्ञानकोश | इतिहास | भूगोल | कृषि |
गणित | अँग्रेजी | रीजनिंग | राज्यव्यवस्था |
डाउनलोड | एसएससी | रणनीति | क्विज़ |
अर्थव्यवस्था | विज्ञान | हिन्दी | जीवनी |
राज्यवार | हिन्दी | टेस्ट सीरीज़ (Unlimited) |
Related Posts:
- विज्ञान के 120 प्रश्न जो UPSC, UPPSC, SSC में हमेशा पूछे जाते हैं | व्याख्या सहित
- वैदिक काल का इतिहास | सम्पूर्ण जानकारी
- 721🔥 हद से ज़्यादा बार पूछे गए GK के प्रश्न | अभी रट लें | Download PDF
- रसायन विज्ञान [283 Facts] ई बुक भाग 1 से 3 डाउनलोड | Chemistry Notes in Hindi | Download
- दिल्ली सल्तनत - सभी वंश
- मौर्य साम्राज्य 🔥
- 185 महत्वपूर्ण आर्थिक शब्दावली | Financial Terminology
- नैन सिंह रावत कौन थे? | Who was Nain Singh Rawat in Hindi
- हडप्पा सभ्यता- सिन्धु घाटी की सभ्यता | Harappa/Hadappa Sabhyata in Hindi
- रस की परिभाषा, स्थायी भाव और रस के अंग
- पंचायती राज नोट्स | गठन | संरचना | आरक्षण | कार्य
- संस्कृत व्याकरण ( Sanskrut Grammar)
- कविगुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुर की जीवनी | Biography of Ravindra Nath Tagore in Hindi
- मुगल प्रशासन (MUGHAL ADMINISTRATION)
- अलंकार की परिभाषा, प्रकार तथा उदाहरण
- गुप्त काल | सम्पूर्ण जानकारी
- 212 विश्व विख्यात व्यक्तित्व (संक्षेप में)| 212 World Famous Personalities in Hindi
- औसत 🔥 सवाल कीजिये चुट्कियों में (🔥 20+Hot Tricks)(Average Tricks in Hindi)
- बौद्ध धर्म का इतिहास, सम्पूर्ण कवरेज, वीडियो, ऑडियो एवं प्रश्न-उत्तर
- प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत | सम्पूर्ण जानकारी
3 thoughts on “रस के भेद एवं उदाहरण | परिभाषा | प्रकार”
Sahil malik
Very nice 👌👌👌👌👌👌👌 👍👍👍👍👍
Very nice example for this site
And_thanks so much