Press ESC to close

Or check our Popular Categories...

Ancient History

35   Articles
35
5 Min Read
686

भारत का एक समृद्ध और विविध इतिहास है जो 5,000 से अधिक वर्षों तक फैला हुआ है। सिंधु घाटी सभ्यता, जो 2500 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक फली-फूली, दुनिया की सबसे शुरुआती और सबसे उन्नत सभ्यताओं में से…

Continue Reading
4 Min Read
605

भगवान् श्रीकृष्ण का उल्लेख सबसे पहले छान्दोग्यपनिषद में आया है ! सत्यमेव जयते मुन्डोकपनिषद से लिया गया है इसी में यज्ञ की तुलना दूटी हुई नाव से की गयी है महाभारत विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है इसे पांचवे वेद…

Continue Reading
8 Min Read
560

प्राचीन भारतीय इतिहास के सन्दर्भ में स्रोतों को कितने भागों में विभक्त किया जा सकता है। – साहित्यिक स्रोत, पुरातात्विक स्त्रोत व विदेशी विवरण ऐतिहासिक दृष्टि पर आधारित पहला भारतीय ग्रन्थ कौन-सा है? कल्हणकृत ‘राजतरंगिणी’  भारतीय समाज मुख्य रूप से…

Continue Reading
5 Min Read
156

वैदिक संस्कृति वैदिक संस्कृति को दो भागों में विभाजित कर सकते है ऋग्वैदिक काल (1500-1000BC) उत्तर वैदिककाल (1000-600BC) ऋग्वैदिक काल ऋग्वैदिक काल में कबीलाई समाज था। ऋग्वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति काफी अच्छी थी। उन्हें पुरूषों के समान शिक्षा…

Continue Reading
3 Min Read
4876

हर्षवर्द्धन की मृत्यु के बाद भारत में तीन प्रमुख शक्तियों पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट वंशों का उदय हुआ, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में लंबे समय तक शासन किया।  कन्नौज पर प्रभुत्व के सवाल पर उपरोक्त तीनों राजवंशों के बीच ‘8वीं शताब्दी…

Continue Reading
13 Min Read
2550

ऐसा माना जाता है कि राजपूत शब्द एक जाति या वर्ण-विशेष के लिए इस देश में मुसलमानों के आने के बाद प्रचलित हुआ। ‘राजपूत’ या ‘रजपूत’ शब्द संस्कृत के राजपुत्र शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन ग्रंथ कुमारपाल चरित् एवं वर्ण रत्नाकर आदि…

Continue Reading
5 Min Read
719

पाल वंश (Pal Dynasty) खलीमपुर ताम्र-पत्र अभिलेख से ज्ञात होता है कि 750 ई० में बंगाल की जनता ने अराजकता से त्रस्त होकर स्वयं गोपाल को अपना राजा चुना।  गोपाल (750-80 ई०) पाल वंश का प्रथम शासक था।  इस वंश…

Continue Reading
3 Min Read
4061

उपलब्ध संसाधन संकेत करते हैं कि दक्षिण भारत, मुख्यत: तमिलनाडु एवं केरल में प्रथम सहस्त्राब्दी में महापाषाणयुगीन लोग रहते थे।  पल्लव वंश (Pallav Dynesty) राष्ट्रकूट वंश (RashtrakutDynasty) चालुक्य वंश (CHALUKYADYNASTY)  बादामी के चालुक्य (Chalukyas of Badami) कल्याणी के चालुक्य (Chalukyas…

Continue Reading
1 Min Read
1816

गुप्त वंश के पतन के पश्चात् पुष्यभूति ने थानेश्वर में एक नवीन राजवंश की स्थापना की जिसे ‘पुष्यभूति वंश’ कहा गया। हर्षवर्द्धन (इस राजवंश का सबसे प्रतापी शासक) के लेखों में उसके केवल चार पूर्वजों नरवर्द्धन, राज्यवर्द्धन, आदित्यवर्द्धन एवं प्रभाकरवर्द्धन का उल्लेख मिलता है।

Continue Reading
1 Min Read
2474

हूण लोग मंगोल प्रजाति के खानाबदोश जंगलियों के एक समूह थे। यह युद्धप्रिय एवं बर्बर जाति आरंभ में चीन के पड़ोस में निवास करती थी।

Continue Reading
8 Min Read
7524

गुप्त काल (GUPTA PERIOD)  गुप्तकालीन संस्कृति प्रशासन (Administration) गुप्तकालीन केंद्रीय नौकरशाही  गुप्तकालीन केंद्रीय नौकरशाही के विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। परंतु कुछ प्रमुख कर्मचारियों के पदों का जिक्र अवश्य मिलता है। गुप्त शासकों ने किसी नयी व्यवस्था…

Continue Reading
3 Min Read
9551

मौर्योत्तर काल (POST-MAURYA PERIOD)  ब्राह्मण साम्राज्य (BRAHMIN EMPIRE) शुंग वंश (Sunga Dynasty) कण्व वंश (Kanav Dynasty)  सातवाहन वंश  वाकाटक वंश  विदेशी आक्रमण  हिन्द यूनानी (indo-greek) हिन्द-पार्थियन (Indo-Parthian) शक (Shakas) कुषाण (Kushanas) कलिंग राज खारवेल (Kalinga King Kharvell) मौर्योत्तरकालीन कला-संस्कृति  कुषाणकालीन…

Continue Reading
10 Min Read
9284

मौर्य कौन थे ? मौर्य वंश के इतिहास के स्रोत मौर्य वंश का इतिहास मौर्य वंश का शासन भारत में 137 वर्षों (321-187) तक रहा। इन वर्षों में कई शासक हए, जिनमें निम्न तीन सम्राटों का शासनकाल उल्लेखनीय रहा  अन्य…

Continue Reading
24 Min Read
5378

ई० पू० छठी शताब्दी में भारतीय राजनीति में एक नया परिवर्तन दृष्टिगत होता है। वह है-अनेक शक्तिशाली राज्यों का विकास। अधिशेष उत्पादन, नियमित कर व्यवस्था ने राज्य संस्था को मजबूत बनाने में योगदान दिया। सामरिक रूप से शक्तिशाली तत्वों को…

Continue Reading
8 Min Read
3792

पश्चिमोत्तर भारत में ईरानी आक्रमण के समय भारत में विकेन्द्रीकरण एवं राजनीतिक अस्थिरता व्याप्त थी। राज्यों में परस्पर वैमनस्य एवं संघर्ष चल रहा था। जिस समय भारत में मगध के सम्राट अपने साम्राज्य के विस्तार में रत थे, उसी समय…

Continue Reading
10 Min Read
1559

भागवत् धर्म  6ठी‘ शताबदी ई०पू० में ब्राह्मणवाद एवं कर्मकांडीय जाटिलता के विरोध में इस धर्म का उदय हुआ, इस धर्म ने ब्राह्मणवाद में भक्ति एवं पूजा का समावेश करवाया  प्रारंभ–‘महाभारत‘ के नारायण उपस्थान प्रसंग से, आरंभिक सिद्धांत–इस धर्म के आरंभिक सिद्धांत…

Continue Reading