भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अर्थव्यवस्था का जहां तक सवाल है उसमें हर एक छोटे-बड़े व्यवसायी, कर्मचारी, किसान सबका योगदान है अब कोरोना वायरस के चलते लोग घरों में कैद हैं और खरीदी में भी कमी आई है ढेर सारे बिज़नस भी घाटे में जा रहे हैं तो क्या हमारा देश मंदी की तरफ बढ़ रहा है अगर हाँ तो इसके क्या प्रभाव होंगे सामान्य जनमानस पर और क्या इसे टाला जा सकता है ? अगर हाँ तो कैसे ? और फिर भी अर्थव्यवस्था पर इसके क्या प्रभाव होंगे इस पोस्ट में हम इसी बात पर चर्चा करने वाले हैं |
प्रमुख बयान
- कोरोना महामारी अब तक की सबसे भीषण आर्थिक मंदी का कारण बन सकती है: डब्ल्यूटीओ प्रमुख
- 2007-09 से भी भयानक हो सकती है महामारी से उत्पन्न आर्थिक मंदी- विश्व बैंक
- कोरोना के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में चली जाएगी: संयुक्त राष्ट्र व्यापार रिपोर्ट
- कोराना वायरस के कारण आर्थिक मंदी की चपेट में आ गई है दुनिया, यह 1930 के दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद का सबसे गंभीर वैश्विक आर्थिक संकट हो सकता है, दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां अचानक से ठप होने के साथ उभरते बाज़ारों को कम से कम 2,500 अरब डॉलर की ज़रूरत होगी, विश्व व्यापार में 2020 में 13 फीसदी से लेकर 32 फीसदी तक की गिरावट आने की आशंका है – IMF
- कोरोना वायरस से दुनिया भर में आएगी आर्थिक तबाही, भारत और चीन पर कम असर होगा – संयुक्त राष्ट्र
- दुनिया के गरीब और विकासशील देशों को आर्थिक मंदी से उबरने के लिए लगभग 2-3 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत पड़ेगी, विकासशील देशों को हालात सामान्य करने में लगभग 2 साल तक का वक्त लग सकता है –संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनाइटेड नेशन ट्रेड एंड डेवलेपमेंट बॉडी (UNCTAD)
- कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में महामंदी की स्थिति आने वाली है हालांकि इस स्थिति पर नियंत्रण महामारी के बाद लिए जाने वाले निर्णयों के उपर भी निर्भर है। – पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन
- भारतीय एविएशन सेक्टर में 29 लाख से ज्यादा नौकरियों पर खतरा – IATA
- 2020-21 के लिए फिंच ने भारत के विकास दर को घटाकर 2 फ़ीसदी अनुमान लगााया गया है। इससे पहले फीच ने मार्च में 2020 के लिए भारत के विकास दर का अनुमान घटाकर 5.1 फ़ीसदी कर दिया था। वहीं दिसंबर 2019 में फिच ने विकास दर 5.6 फ़ीसदी बताया था।
अब कुछ चीजें साफ करना जरूरी है क्यूंकि हमें आंकडों में नहीं जाना सामान्य लोगों को आंकडों से सरोकार नहीं है सरोकार है कि उन पर इसका क्या असर होगा और देश पर इसका क्या असर होगा तो सीधी सीधी भाषा में हम बात करेंगे |
तो यहाँ तीन चीजें समझना बहुत जरूरी है –
1. आर्थिक मंदी क्या होती है ? 2. GDP क्या होता है ? 3. आर्थिक वृद्धि क्या होती है ? ये तीनों चीजें जानना इसलिए जरूरी है क्यूंकी आगे हम बातें आसानी से समझ पाएँ |
आर्थिक मंदी
आर्थिक मंदी वो हालात हैं जब लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो जाती है जिसकी वजह से बाजार में सामान बिकता नहीं है जिससे मांग नहीं पैदा होती, मांग ना पैदा होने की वजह से फैक्ट्रिज में सामान नहीं बनता, जब सामान ही नहीं बनता तो जो वहाँ के कर्मचारी होते हैं उन्हें भी काम नहीं मिलता जिससे उनकी भी खरीदने की क्षमता कम हो जाती है और ये अर्थव्यवस्था का ये मांग और आपूर्ति का पहिया रुकने लगता है | इसी को आर्थिक मंदी कहा जाता है |
GDP – यानि Gross Domestic Product
इसका अर्थ है एक देश में एक निश्चित समय के अंदर बनाई गयी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य या कीमत | भारत में जीडीपी की गणना प्रत्येक तिमाही में की जाती है। जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है। जीडीपी के तहत कृषि, उद्योग व सेवा तीन प्रमुख घटक आते हैं। इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत के आधार पर जीडीपी दर तय होती है।
आर्थिक वृद्धि
किसी देश की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि आर्थिक वृद्धि (Economic growth) कहलाती है। आर्थिक वृद्धि केवल उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का परिमाण बताती है।
कैसे ये अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा
- अर्थव्यवस्था का चक्र निर्भर करता है मांग और आपूर्ति पर, ये पूरा चक्र एक दूसरे पर आधारित होता है अगर किसी भी चीज़ की मांग में कमी आती है तो उसका प्रभाव दूसरी चीजों की मांग और नौकरियों पर भी पड़ता है, किसी भी वस्तु की मांग कम होने से सबसे पहले उस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय पर पड़ता है जिससे उनकी खरीदने की क्षमता कम हो जाती है और इस तरह वस्तुओं की मांग कम हो जाती है और फिर से लोगों की नौकरी जाती है और फिर यही चक्र चलता रहता है और परिणाम के तौर पर आर्थिक मंदी आ जाती है |
- इस कोरोना महामारी में ये सभी लोग लोग प्रभावित होंगे – क्यूंकि ये सभी लोग अपने काम पर या तो जा नहीं पा रहे, ढेर सारी चीजों की मांग में गिरावट आ ही चुकी है, ऑनलाइन बिजनस भी मंदा ही है क्यूंकि एक तो लोग ऑनलाइन ऑर्डर भी नहीं कर रहे और उनके लोग भी घर से ही काम कर रहे हैं |
- किसान और मजदूर तो जब तक बाहर नहीं निकलते तब तक उन्हें और बाजार को भी दिक्कत है, बड़े किसान तो फिर भी थोड़े ठीक हैं हालांकि उनका नुकसान भी बड़ा ही होगा, छोटे किसानों के सामने परेशानी आ सकती है, वो मजदूर जो उन्हीं खेतों में काम करते थे वे तो ज्यादा मुश्किल में हैं, जिनके पास जमीन है उनके लिए तो शायद कोई सरकारी योजना आ भी जाए |
- सरकारी कर्मचारी भी अछूते नहीं हैं उनकी भी हर महीने एक दिन की सैलरी काटने का आदेश जारी हो ही चुका है और 1 साल तक कोई वेतन वृद्धि नहीं होगी और साथ ही नयी भर्तीयों पर भी रोक लग सकती है |
- कुछ छोटे उद्यमी काफी घाटे में जा सकते हैं ख़ास तौर पर जिनके पास ऐसा कच्चा माल था जो ख़राब हो सकता है उनको भारी नुक्सान उठाना पडेगा, बड़े उद्यमी तो फिर भी घाटा सहन कर सकते हैं पर मुसीबत छोटों की अधिक है |
- फिल्म और पर्यटन उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा मंदी का दौर है क्यूंकि इस वक्त उनके पास कोई काम नहीं है ख़ास तौर पर पर्यटन क्षेत्र में लम्बे समय तक मंदी रहने के आसार हैं क्यूंकि लोग बाहर जाने से बचेंगे अभी कुछ महीनों तक तो |
- किसान
- मजदूर
- प्राइवेट कर्मचारी
- सरकारी कर्मचारी
- छोटे दुकानदार
- छोटे उद्यमी
- बड़े उद्यमी
- नये स्टार्टअप
- पर्यटन क्षेत्र
- ऑनलाइन बिज़नस (ई कॉमर्स)
- फिल्म उद्योग
सर्वे के परिणाम
उद्योग मंडल फिक्की और कर परामर्शक ध्रुव एडवाइजर्स द्वारा संयुक्त रूप से कराया गया है उसमें विभिन्न क्षेत्रों की करीब 380 कंपनियों की राय ली गई। जिसमें ये बातें सामने आई हैं –
- सर्वे में कहा गया है कि इस महामारी की वजह से कंपनियां अपने भविष्य को लेकर काफी ज्यादा अनिश्चित हैं। सर्वे में शामिल 72 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि मौजूदा स्थिति का उनके कारोबार पर ‘बड़ा और काफी ज्यादा’प्रभाव पड़ा है।
- यही नहीं इस संकट की वजह से बड़ी संख्या में कर्मचारियों की नौकरी भी जा सकती है। सर्वे में शामिल 75 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि आगामी महीनों मे वे अपने कर्मचारियों की संख्या में कुछ कटौती करेंगी।
- अच्छी-खासी संख्या में कंपनियों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में उनकी बिक्री का परिदृश्य सकारात्मक नहीं रहेगा। 70 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि 2020-21 में उनकी बिक्री में गिरावट आएगी।
- इसके अलावा ज्यादातर कंपनियों ने कहा कि उनकी कारोबारी नकदी और आर्डर बुक में भी कमी आएगी। फिक्की ने बयान में कहा, ‘‘सर्वे से यह तथ्य सामने आया है कि सरकार की ओर से उद्योग को बड़ा आर्थिक पैकेज नहीं मिलता है तो बड़ी संख्या में कंपनियों के लिए इस स्थिति से उबर पाना मुश्किल होगा।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असर
- नौकरियां घटीं – विश्व में तकनीकी तरक्की के साथ ही घर से काम करने का बढ़ता चलन निश्चित रूप से कम्पनियों के लिए सहायक सिद्ध हुआ है जो अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालना नहीं चाहतीं। फिर भी कोरोना आपदा के चलते हजारों लोगों का रोजगार छिन चुका है।
- स्टाॅक मार्केट पर प्रभाव – स्टैंडर्ड एंड पुअर की रेटिंग 500 में फरवरी माह से ही 15 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। हमें यह समझना होगा कि मौजूदा संकट वर्ष 2008 के संकट से कहीं अधिक गहरा है।
- वैश्वीकरण की मार – वैश्वीकरण की वजह से यदि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तो उसका असर विश्व स्तर पर पड़ता है
कोरोना महामारी के बाद हम अर्थव्यवस्था को सुधारने में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं ?
- इससे पहले हमें चीन को समझना होगा कैसे वो इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, यदि आपको पता हो तो चीन दुनिया कर सबसे बड़ा Exporter है और दूसरा बड़ा Importer. चीन ने बाहर से देश में पैसा तो आने दिया पर ढेरों तरीकों से देश से पैसे का बाहर जाना रोक दिया |
कैसे ?
उदाहरण के लिए – - 2018 से भारत के स्मार्टफोन के बाजार चीन का कब्जा है वो सारा बिज़नस चीन का है |
भारत के TOP 44 Apps चीन के ही हैं उनसे होने वाली आमदानी सब उसकी, उन पर आने वाले विज्ञापन देने वाला भारतीय, देखने वाला भारतीय पैसे खर्च करने वाला भारतीय पर उससे पैसे कमाने वाला चीन | - इसी तरह चीन ने जितनी भी विदेशी कंपनी हैं जिनसे पैसा बाहर जा सकता था उन सब पर रोक लगा रखी है जैसे , YouTube, Facebook, Twitter, Instagram, Google और अधिकतर Apps पर रोक है उन्होने खुद के Apps Develop किए हैं अगर उन पर कोई Advertisement देता है तो चीनी कंपनी ही तो बढ़ेगी पैसा भी चीन में ही रहेगा
- इसी तरह चीन ने जितनी भी विदेशी कंपनी हैं जिनसे पैसा बाहर जा सकता था उन सब पर रोक लगा रखी है जैसे , YouTube, Facebook, Twitter, Instagram, Google और अधिकतर Apps पर रोक है उन्होने खुद के Apps Develop किए हैं अगर उन पर कोई Advertisement देता है तो चीनी कंपनी ही तो बढ़ेगी पैसा भी चीन में ही रहेगा अगर आप सोच रहे हैं कि App से होने वाली आमदनी कितनी होगी और क्यूँ हम उस पर ही फोकस कर रहे हैं तो इसकी 2 वजह हैं |
- इन कंपनियों से किसी भारतीय कंपनी को कोई लाभ नही हो रहा, हमारी अर्थव्यवस्था में इनका कोई योगदान नहीं है |
- चूंकि ये Apps Virtual हैं इनसे कोई वास्तविक वस्तु की प्राप्ति हमें नहीं हो रही सिर्फ पैसा बाहर जा रहा है |
- अगर आप गौर करें तो 2019 में TikTok ने भारत से ही लगभग 100 करोड़ रुपये कमाए, क्या ये कम हैं ?
- तो उत्तर इसी में निहित है और आज जो हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा उसमें भी “हमें आत्मनिर्भर होना होगा” हमें अपनी भारतीय कंपनियों को बढ़ावा देना होगा, हमें दिखावे के लिए कोई विदेशी कंपनी की चीजें खरीदना बंद करना होगा, हमें समझना होगा कि अगर हमारे देश की कोई कंपनी मजबूत होती है तो देश मजबूत होता है |
- अक्सर हम ये करते हैं कि जब भी कोई भारतीय कंपनी बढ़ना शुरू करती है तभी हम किसी न किसी साजिश का शिकार होकर उसका विरोध शुरू कर देते हैं और विदेशी कंपनियों पर तो हम ऐसे विश्वास करते हैं जैसे वो हमारी आँखों के सामने सामान बनाती हों, सिर्फ इसलिए कि वो विदेशी हैं और वो मार्केटिंग में अच्छी हैं वो आपको यकीन दिला देती हैं कि ये सामान खरीदने से ही आपका काम चलेगा
- कोई भी वस्तु यदि भारत में बने तो उसे खरीदना फिर भी देश हित में है क्यूंकि इससे कम से कम हमारे लोगों को रजगार तो मिलेगा पर कहीं और बने और आप खरीदें इसमे देश का कोई फ़ायदा नहीं
क्या कोरोना महामारी की वजह से महंगाई बढ़ेगी ?
यहाँ पर जिन चीजों की मांग में कमी आएगी उनके मूल्य में कमी आएगी और जिन वस्तुओं की मांग में कमी नहीं आएगी लेकिन आपूर्ति कम होगी उनके मूल्य में वृद्धि होगी, जैसे जो वस्तुएँ बहुत आवश्यक नहीं हैं उनके खरीददार कम होंगे तो उनके मूल्य कम होंगे, और जिन वस्तुओं की बेहद जरूरत रहती है पर महामारी के कारण कम बन पायी हैं या कम उपलब्धता है उनके मूल्य बढ़ेंगे |
कोरोना वायरस 2019 का पहला केस कहां सामने आया?
चीन में वुहान के हुआनान में
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह क्या मानी जा रही है?
वुहान के हुआनान सीफूड मार्केट में मिलने वाले समुद्री जीवों, चमगादड़ और सांप को
कोरोना वायरस किस प्रकार से मनुष्यों में एक से दूसरे में फैलता है?
संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से अपने चारों ओर करीब डेढ़ मीटर के लोगों को चपेट में लेता है।
कोरोना वायरस का सीधा प्रभाव मानव शरीर में कहां पड़ता है?
श्वसन तंत्र पर
कोरोना वायरस किस प्रकार का वायरस है?
यह आरएनए वायरस हैं
कोरोना से पीड़ित होने पर शरीर में क्या बदलाव आते हैं?
निमोनिया, खांसी, बुखार और जुखाम इत्यादि
कोरोना वायरस के नाम के आगे Novel शब्द क्यों जोड़ा गया?
यह कोरोना परिवार का नया सदस्य है इसलिए
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