चंद्रयान 2 मिशन क्या है ? | Chandrayaan -2
चंद्रयान 2 बेहद महात्वाकांक्षी भारतीय चंद्रयान मिशन है | इस बार भारत ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो कोई और देश नहीं कर पाया है | वैसे तो ये चंद्रयान 2 मिशन बहुत बातों में बेहद ख़ास है पर चलिए डालते हैं नजर कुछ बेहद खास बातों पर –
- चंद्रयान 2 चाँद के दक्षिणी ध्रुव (चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र) क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है |
- इसका उद्देश्य चंद्रमा के प्रति जानकारी जुटाना और ऐसी खोज करना जिनसे भारत के साथ ही पूरी मानवता को फायदा हो सके।
- चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का उपयोग करेगा जो दो गड्ढों- मंज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का प्रयास करेगा।
- इस मिशन की सफलता के बाद भारत उन कुल 4 देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। सॉफ्ट लैंडिंग करना इतना खतरनाक है कि अभी तक अमेरिका, रूस, चीन ही इस कारनामे को अंजाम दे पाए हैं।
क्यों जाना है चाँद पर ?
- चंद्रमा हमें पृथ्वी के क्रमिक विकास और सौर मंडल के पर्यावरण की अविश्वसनीय जानकारियां दे सकता है।
- चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में भी कई महत्वपूर्ण सूचनाएं जुटाई जा सकेंगी।
- चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव विशेष रूप से दिलचस्प है क्योंकि इसकी सतह का बड़ा हिस्सा उत्तरी ध्रुव की तुलना में अधिक छाया में रहता है। इसके चारों ओर स्थायी रूप से छाया में रहने वाले इन क्षेत्रों में पानी होने की संभावना है। चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में प्रारंभिक सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद है। वहां पानी होने के सबूत तो चंद्रयान 1 ने खोज लिए थे और यह पता लगाया जा सकेगा कि चांद की सतह और उपसतह के कितने भाग में पानी है।
- चंद्रमा पृथ्वी का नज़दीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं।
- यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आज़माने का परीक्षण केन्द्र भी होगा।
- चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा देने, वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने और खोजकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।
Chandrayaan 2 में प्रयुक्त किये गए साधन –
- लांचर – GSLV Mk-III भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर है, और इसे पूरी तरह से देश में ही निर्मित किया गया है।
- ऑर्बिटर – ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा चंद्रयान 2 के लैंडर – विक्रम के बीच संकेत रिले करेगा।
- विक्रम लैंडर– लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- प्रज्ञान रोवर – रोवर – ए आई-संचालित 6-पहिया वाहन है, इसका नाम ”प्रज्ञान” है, जो संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है।
प्रश्न – ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे?
- उत्तर – चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है।
- ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे।
- लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।
चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के साथ भेजे गए 13 स्वदेशी पे-लोड
- इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इसमें भारत के 5, यूरोप के 3, अमेरिका के 2 और 1 बुल्गारिया का पे-लोड शामिल है।
मुख्य-पेलोड (Chandrayaan 2)
- विस्तृत क्षेत्र सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर– चंद्रमा की मौलिक रचना
- इमेजिंग आई आर स्पेक्ट्रोमीटर – मिनरेलॉजी मैपिंग और जल तथा बर्फ होने की पुष्टि
- सिंथेटिक एपर्चर रडार एल एंड एस बैंड – ध्रुवीय क्षेत्र मानचित्रण और उप-सतही जल और बर्फ की पुष्टि
- ऑर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरा – हाई-रेज टोपोग्राफी मैपिंग
- चंद्रमा की सतह थर्मो-फिजिकल तापभौतिकी प्रयोग – तापीय चालकता और तापमान का उतार-चढ़ाव मापना
- अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर और लेजर चालित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप – लैंडिंग साइट के आसपास मौजूद तत्वों और खनिजों की मात्रा का विश्लेषण
चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) चंद्रयान-1 से कितना अलग है?
- चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं।
- चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा।
- यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।
चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के निर्माण में हुए 978 करोड़ खर्च
- चंद्रयान-2 को पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है और इसकी लागत लगभग 978 करोड़ आयी है। इसमें कई तरह के कैमरे और रडार लगाए गए हैं जिससे चांद का सूक्ष्म अध्ययन करने में काफी मदद मिल सकेगी।
मिशन की कमान थी इन महिलाओं के हाथ (Chandrayaan 2)
- इसरो के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी मिशन की कमान पूरी तरह महिलाओं के हाथ में है। इस पूरे प्रोजेक्ट की डायरेक्टर का नाम मुथैया वनिता हैं। उनके कंधों पर मिशन की शुरुआत से लेकर आखिर तक का जिम्मा है।
- उनके अलावा मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव हैं। इस पूरे मिशन में 30% महिलाएं हैं
परीक्षा उपयोगी प्रश्न उत्तर – (Chandrayaan 2)
- चंद्रयान 2 कब लांच किया गया ? – 22 जुलाई 2019 सोमवार दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ।
- चंद्रयान 2 को किस राकेट से लॉन्च किया गया ? – चंद्रयान-2 भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी एमके-III से लॉन्च हुआ
- चंद्रयान 2 को सबसे पहले कब लॉन्च किया जाने वाला था ? – इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई। बाद में अन्य कारणों से इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया। इस दौरान बदलावों की वजह से चंद्रयान-2 का भार भी पहले से बढ़ गया। ऐसे में जीएसएलवी मार्क-3 में भी कुछ बदलाव किए गए थे।
- चंद्रयान 2 का वजन कितना है ? – इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो है। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है।
- चंद्रयान 2 कितने दिनों बाद चन्द्रमा की सतह पर पहुंचेगा ? – लॉन्च के 48 दिन बाद यान चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा |
- चंद्रयान-2 के निर्माण में कितनी लागत आयी है ? – चंद्रयान-2 के निर्माण में हुए 978 करोड़ खर्च आया है |
- चंद्रयान-2 के साथ कितने पे-लोड भेजे जा रहे हैं ?- चंद्रयान-2 के साथ भेजे गए 13 स्वदेशी पे-लोड भेजे जा रहे हैं |
- चंद्रयान 2 चाँद के किस स्थान पर उतरेगा ? – चंद्रयान 2 चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा |
- चंद्रयान 2 की कमान किसके हाथ में थी ? – इस पूरे प्रोजेक्ट की डायरेक्टर का नाम मुथैया वनिता हैं। उनके अलावा मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव हैं।
- चंद्रयान 2 लॉन्च के बाद भारत किन 4 देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है ? – इस मिशन की सफलता के बाद भारत उन कुल 4 देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। सॉफ्ट लैंडिंग करना इतना खतरनाक है कि अभी तक अमेरिका, रूस, चीन ही इस कारनामे को अंजाम दे पाए हैं।
वीडियोज Related to Chandrayaan 2
[td_block_video_youtube playlist_title=”” playlist_yt=”vZtUle4OFLY, O1XJY0NdYdE, XdiM4SgPxvk” playlist_auto_play=”0″]बाहरी लिंक्स –
यह भी पढ़ें –
- एशिया महाद्वीप महत्वपूर्ण तथ्य | Videos | Question & Answer | Handwritten Notes
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (Environment Protection Act, 1986)
- ट्रेन 18 और ट्रेन 20 क्या है ? (What is Train 18 and Train 20 Project route information in India in Hindi)
- अन्त्योदय अन्न योजना क्या है ?
- क्या है फिल्ड्स मेडल (What is Fields Medal in Hindi)
- अटल पेंशन योजना क्या है ? | What is Atal Pension Yojana in Hindi
- डिजिटल भारत क्या है ? | What is Digital India in Hindi
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को चंद्रयान-2 की कक्षा दूसरी बार सफलतापूर्वक बदली। इसरो ने बताया कि देर रात 1.08 बजे चंद्रयान-2 को पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में पहुंचाया गया। इससे पहले 24 जुलाई को दोपहर 2.52 बजे पहली बार यान की कक्षा बदली गई थी।
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 का प्रोपल्सन सिस्टम करीब 883 सेकंड के लिए चालू किया गया। इस दौरान यान कक्षा बदलकर पृथ्वी से 54829 किमी. ऊपर स्थित कक्षा में पहुंच गया। अगले 10 दिनों में चंद्रयान-2 की कक्षा तीन बार और बदली जाएगी। इससे यान करीब 1,43,953 किमी दूर स्थित कक्षा तक पहुंचाया जाएगा। हर बार कक्षा बदलने के साथ ही चंद्रयान-2 की ऊर्जा बढ़ती जाएगी, जिससे अंतत: यह पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चांद की कक्षा की ओरबढ़ेगा।
चंद्रयान-2 सोमवार (22 जुलाई) को दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ था। प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वकपृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान की गति अभी सामान्य है।
14 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा छोड़ेगा चंद्रयान-2
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने बताया था कि अगले एक से डेढ़ महीने में चंद्रयान-2 को चंद्रमा के पास पहुंचाने के दौरान 15 अहम टेस्टकिए जाएंगे। चंद्रयान-2 की कक्षा बदलने की अगली प्रक्रिया अब 29 जुलाई को होगी। इसके बाद 2 अगस्त और 6 अगस्त को एक बार फिर इसे ऊपरी कक्षाओं में पहुंचाया जाएगा। चंद्रयान-2 करीब आठ दिन तक पृथ्वी की आखिरी कक्षा में चक्कर लगाएगा। इसके बाद 14 अगस्त को बाहर निकलकर चांद की कक्षा की तरफ बढ़ जाएगा।
3 सितंबर को मुख्य स्पेसक्राफ्ट से अलग होंगे लैंडर-रोवर
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद सतह से 100 किमी की दूरी पर अलग हो जाएगा। इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर 3 सितंबर को मुख्य स्पेसक्राफ्ट से अलग होकर निचली कक्षा में पहुंचेंगे और आखिर में 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतर जाएंगे। इसरो प्रमुख के मुताबिक, आखिर के 15 मिनट में सुरक्षित लैंडिंग कराने के दौरान वैज्ञानिक सबसे ज्यादा भय अनुभव करेंगे।
चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलोग्राम
चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया गया। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारने की योजना है। इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो है। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है। लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड है।
चंद्रयान-2 मिशन क्या है? यह चंद्रयान-1 से कितना अलग है?
चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।
ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे?
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।
चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के लिए 22 जुलाई को रवाना हुए चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के जीवन काल को एक साल और बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले इसरो ने अनुमान लगाया था कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। अब इसके दो साल तक काम करने का अनुमान लगाया जा रहा है।
यहां है चंद्रयान-2
लॉन्चिंग के बाद राकेट से अलग होकर चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा पर स्थापित हो गया है. चंद्रयान-2 इस वक्त पृथ्वी का चक्कर काट रहा है. दरअसल चंद्रयान-2 खुद को पृथ्वी का चक्कर काटते हुए चांद की कक्षा में प्रवेश करने की तैयारी कर रहा है. यह यान इस वक्त बेंगलुरु स्थित इसरो टेलीमेंट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के वैज्ञानिकों के नियंत्रण में है. वैज्ञानिक इस चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा से चांद पर भेजने के लिए तैयार कर रहे हैं.
ISRO के वैज्ञानिक आज यानी सोमवार(29 July 2019) को चंद्रयान-2 को धरती की अगली कक्षा में प्रवेश कराएंगे। इसरो के मुताबिक, सोमवार को ढाई बजे से साढ़े तीन बजे के बीच Chandrayaan-2 को धरती की अगली तीसरी कक्षा में प्रवेश कराने का काम किया जाएगा। अब तक इसरो चंद्रयान-2 को धरती की दो कक्षाओं में सफलतापूर्वक प्रवेश करा चुका है।
प्रारंभिक योजना में रोवर को रूस में डिजाइन और भारत में निर्मित किया जाना था। हालांकि, रूस ने मई 2010 को रोवर को डिजाइन करने से मना कर दिया। इसके बाद, इसरो ने रोवर के डिजाइन और निर्माण खुद करने का फैसला किया। आईआईटी कानपुर ने गतिशीलता प्रदान करने के लिए रोवर के तीन उप प्रणालियों विकसित की:
त्रिविम कैमरा आधारित 3डी दृष्टि – जमीन टीम को रोवर नियंत्रित के लिए रोवर के आसपास के इलाके की एक 3डी दृश्य को प्रदान करेगा।
काइनेटिक कर्षण नियंत्रण – इसके द्वारा रोवर को चन्द्रमा की सतह पर चलने में सहायक होगा और अपने छह पहियों पर स्वतंत्र से काम करने की क्षमता प्रदान होगी।
नियंत्रण और मोटर गतिशीलता – रोवर के छह पहियों होंगे,प्रत्येक स्वतंत्र बिजली की मोटर के द्वारा संचालित होंगे। इसके चार पहिए स्वतंत्र स्टीयरिंग में सक्षम होंगे। कुल 10 बिजली की मोटरों कर्षण और स्टीयरिंग के लिए इस्तेमाल कि जाएगी