भारतीय डाक सेवा संपूर्ण राष्ट्र में वहनीय मूल्य पर सूचना आदान प्रदान करने का एक आधारभूत माध्यम है। यह व्यवस्था देश के उन सुदूर गांवों को जोड़ने का एकमात्र साधन है, जो आज भी सूचना तथा संचार क्रांति से वंचित हैं।

वर्तमान डाक प्रणाली का प्रारंभ 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत देशभक्तों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के लिए ‘लॉर्ड क्लाइव’ द्वारा किया गया।

वर्तमान डाक प्रणाली की स्थापना

इसकी स्थापना 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने पोस्टमास्टर जनरल के अधीन कलकत्ता जीपीओ की नींव रखकर की। अन्य दो प्रेसिडेंसियों मद्रास तथा मुंबई में भी 1786 तथा 1793 में जनरल पोस्ट ऑफिस खोले गए, लेकिन एक समान संचार व्यवस्था के लिए तीनों प्रेसिडेंसियों को 1837 के अखिल भारतीय डाक सेवा अधिनियम द्वारा एक कर दिया गया।

पुन: 1 अक्टूबर, 1854 के डाकघर अधिनियम के द्वारा डाक प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किया गया। अतः वर्तमान डाक प्रणाली की नींव 1 अक्टूबर, 1854 को डाली गई। वर्तमान में भारतीय डाकघर अधिनियम 1898 देश में डाक सेवाओं को नियंत्रित कर रहा है।

वर्तमान में डाक व्यवस्था

इस समय हमारे देश में 156,721 डाकघरों का विशाल तंत्र है, जो विश्व में सबसे बड़ा है। इसमें से तीन-चौथाई से भी अधिक डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैं।

यह वर्तमान में उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में विमान सेवा द्वारा संग्रह तथा परिवहन के साथ बड़ी डाक सेवाओं की डिलीवरी प्रदान कर रहा है। इस प्रकार भारतीय डाक अपने समक्ष उत्पन्न कोरियर कंपनियों से स्वस्थ स्पर्धा कर अपनी गुणवत्ता तथा क्षमता को बढ़ा रही है।

सूचना-तकनीक का प्रयोग कर भारतीय डाक विभाग ने वर्ष 2001 में अत्याधुनिक डाक सेवा प्रारंभ किया है, जिसे ‘ई पोस्ट’ नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत प्रेषित संदेशों को कुछ ही घंटों में डाक विभाग द्वारा संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाया जाता है। यह सेवा भारतीय डाक के इतिहास में मील का पत्थर सिद्ध हुई है तथा इसके साथ ही हम विश्व की आधुनिक डाक सेवाओं में सम्मिलित हो गए हैं।

उल्लेखनीय है कि भारतीय डाक विभाग ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ का 1976 से तथा ‘एशिया पेसिफिक पोस्टल यूनियन’ का 1964 से सदस्य है।

भारतीय डाक प्रणाली का इतिहास

भारतीय डाक प्रणाली 150 वर्ष से अधिक पुरानी है। इसकी आधुनिक शुरुआत डाकघर अधिनियम 1854 के द्वारा 1 अक्टूबर, 1854 को लार्ड डलहौजी के काल में 701 डाकघरों के नेटवर्क के साथ हुई थी।

इसी वर्ष रेल डाक सेवा की स्थापना हुई। साथ ही भारत से ब्रिटेन और चीन के बीच समुद्री डाक सेवा की शुरुआत हुई। इसी वर्ष प्रथम डाक सेवा की शुरुआत हुई। इसी वर्ष प्रथम पोस्टल स्टांप भी जारी किए गए थे।

वैदिक काल में संदेश प्रणाली

अथर्ववेद में संदेश प्रणाली का उल्लेख मिलता है। चाणक्य की पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ में भी इसकी चर्चा है। भारत में व्यवस्थित डाक सेवा का प्रथम उदाहरण चंद्रगुप्त मौर्य (321-297 ई.पू.) के काल में मिलता है। संदेशवाहक कबूतर मौर्य काल की देन है।

डाक प्रणाली – इतिहास के पन्नों से

विधिवत तौर से ‘मैसेंजर पोस्ट सिस्टम’ की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1207 ई. में की थी।

खिलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 मे इस व्यवस्था को काफी सुधारों के साथ लागू किया।

ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) के वायसराय लार्ड क्लाइव ने 1766 मे देश की पहली विधिवत डाक व्यवस्था स्थापित की।

डाक प्रणाली का विस्तार लार्ड वारेन हेसटिंग्स ने 1774 में पोस्ट मास्टर जनरल के अधीन कलकता GPO की स्थापना की।

अन्य दो प्रेसीडेंसियों-मद्रास और बंबई में क्रमश: 1786 और 1793 में जनरल पोस्ट आफिस खोले गए। 1837 के अधिनियम में पहली बार तीनों प्रेसीडेंसियों को एक ही अखिल भारतीय सेवा के अंतर्गत लाकर पूरी डाकघर प्रणाली को एकसमान रूप से संचालित करने की व्यवस्था की गई।

भारतीय डाक विभाग की परिकल्पना स्वयं को सामाजिक दृष्टि से प्रतिबद्ध तकनीक द्वारा संचालित उद्यम के तरह प्रबंधन तथा आत्मनिर्भर बनाने की है। इसके लिए विशिष्ट ग्राहकों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्पीड पोस्ट, बिजनेस पोस्ट, मीडिया पोस्ट तथा ई पोस्ट जैसी संचार सेवाओं के साथ ही वित्तीय सेवाएं भी उपलब्ध कराती हैं, जिसमें भारतीय डाक अत्यंत सफल है।

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डेढ़ लाख से भी अधिक डाकघरों का जाल तंत्र होने के कारण इनकी पहुंच जन सामान्य तक अत्यंत सुलभ है। यही कारण है कि वार्षिक जमा के संदर्भ में डाक बचत बैंक, भारत में सबसे बड़ा बचत बैंक है। इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि जनता में सबसे निचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक स्वीकार्यता है।

समय के साथ-साथ भारतीय डाक ने जिस प्रकार आधुनिकता तथा नवीन तकनीक को अंगीकार किया है, वह अत्यंत सराहनीय है। इसलिए हम कह सकते हैं कि भारतीय डाक का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है।

भारत में डाक प्रणाली की शुरुआत कब हुई थी?

इसकी स्थापना 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने पोस्टमास्टर जनरल के अधीन कलकत्ता जीपीओ की नींव रखकर की। अन्य दो प्रेसिडेंसियों मद्रास तथा मुंबई में भी 1786 तथा 1793 में जनरल पोस्ट ऑफिस खोले गए, लेकिन एक समान संचार व्यवस्था के लिए तीनों प्रेसिडेंसियों को 1837 के अखिल भारतीय डाक सेवा अधिनियम द्वारा एक कर दिया गया।

डाक प्रणाली क्या है?

भारतीय डाक सेवा संपूर्ण राष्ट्र में वहनीय मूल्य पर सूचना आदान प्रदान करने का एक आधारभूत माध्यम है। यह व्यवस्था देश के उन सुदूर गांवों को जोड़ने का एकमात्र साधन है, जो आज भी सूचना तथा संचार क्रांति से वंचित हैं।

भारत में डाकखाना एक्ट / अधिनियम कब पारित हुआ?

इसकी स्थापना 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने पोस्टमास्टर जनरल के अधीन कलकत्ता जीपीओ की नींव रखकर की। अन्य दो प्रेसिडेंसियों मद्रास तथा मुंबई में भी 1786 तथा 1793 में जनरल पोस्ट ऑफिस खोले गए, लेकिन एक समान संचार व्यवस्था के लिए तीनों प्रेसिडेंसियों को 1837 के अखिल भारतीय डाक सेवा अधिनियम द्वारा एक कर दिया गया।
पुन: 1 अक्टूबर, 1854 के डाकघर अधिनियम के द्वारा डाक प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किया गया। अतः वर्तमान डाक प्रणाली की नींव 1 अक्टूबर, 1854 को डाली गई। वर्तमान में भारतीय डाकघर अधिनियम 1898 देश में डाक सेवाओं को नियंत्रित कर रहा है।

भारत को कितने डाक जोन में विभाजित किया गया है?

भारतीय डाक प्रणाली को नौ डाक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है l पिनकोड का पहला अंक भारत (देश) के क्षेत्र को दर्शाता है। पहले 2 अंक मिलकर इस क्षेत्र में उपस्थित उपक्षेत्र या डाक वृतों में से किसी एक डाक वृत को दर्शातें हैं।

डाक विभाग की स्थापना किसने की थी

विधिवत तौर से ‘मैसेंजर पोस्ट सिस्टम’ की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1207 ई. में की थी। खिलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 मे इस व्यवस्था को काफी सुधारों के साथ लागू किया। ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) के वायसराय लार्ड क्लाइव ने 1766 मे देश की पहली विधिवत डाक व्यवस्था स्थापित की। डाक प्रणाली का विस्तार लार्ड वारेन हेसटिंग्स ने 1774 में पोस्ट मास्टर जनरल के अधीन कलकता GPO की स्थापना की।

भारत में कितने डाकघर हैं?

इस समय हमारे देश में 156,721 डाकघरों का विशाल तंत्र है, जो विश्व में सबसे बड़ा है। इसमें से तीन-चौथाई से भी अधिक डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैं।

भारत में प्रथम डाकघर कब खोला गया था?

भारत में पहला डाकघर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा 1764 में बॉम्बे में स्थापित किया गया था

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