विदेशी निवेश
- विदेशी निवेश एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों/कंपनी द्वारा भारत में निवेश करते हैं।
- विदेशी निवेश मुख्यतः दो तरीकों से होता है-
- 1.प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
- 2.विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)
- FDI और FPI में स्पष्ट विभाजन के लिये अरविंद मायाराम समिति का गठन किया गया था।
- अरविंद मायाराम समिति ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में स्पष्ट विभाजन के 10% का कैप लगाया।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI)
- भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों/कंपनी द्वारा गैर-सूचीबद्ध या सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों में जब 10 % तक अथवा उससे अधिक पूंजीगत निवेश या हिस्सेदारी/शेयर खरीदी जाती है तो इसे “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहा जाता है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)
- भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों/कंपनी द्वारा गैर-सूचीबद्ध या सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों में जब 10 % से कम पूंजीगत निवेश या हिस्सेदारी/शेयर खरीदी जाती है तो इसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) कहा जाता है।
भारत में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1991 के तहत विदेशी निवेश का विनियमन किया जाता है।
- भारत में निम्नलिखित दो मार्गों से FDI प्रवाह होता है-
- स्वचालित मार्ग -इसमें विदेशी इकाई को सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
- सरकारी मार्ग-इसमें विदेशी इकाई को सरकार की स्वीकृति लेनी आवश्यक होती है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लाभ
- विकाशील देश को अपने विकास गतिविधिओं को बनाये रखना काफी मुश्किल होती है एवं ऐसी परिस्थिति में विकासशील देशों में विदेशी पूंजी के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का महत्व बढ़ जाता है
- इसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता है।
- उत्पादन में वृद्धि
- पूंजी प्रवाह में वृद्धि
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि
- विनिमय दर स्थिरता
- पिछड़े क्षेत्रों का आर्थिक विकास
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रतिबंधित क्षेत्र
- कृषि या पौधरोपण गतिविधियाँ (हालाँकि बागवानी, मत्स्ययन, चाय बागान, पशुपालन आदि जैसे कई अपवाद हैं)
- परमाणु ऊर्जा उत्पादन
- निधि कंपनी
- लॉटरी (ऑनलाइन, निजी, सरकारी, आदि)
- चिट फंड में निवेश
- जुआँ या सट्टेबाजी
- सिगार, सिगरेट या कोई भी संबंधित तंबाकू उद्योग
- आवास और अचल संपत्ति (टाउनशिप, वाणिज्यिक परियोजनाओं को छोड़कर)