आकाश में सूर्य के अवस्थिति के आधार पर समय के चलने के लेखा जोखा को सौर समय कहते हैं। सौर समय का मुलभुत इकाई दिन होता है। दो तरह के सौर समय आभासी सौर समय (सूर्य को भांपकर समय ज्ञात करना) और सौर समय (घड़ी के अनुसार) हैं।

एक लम्बा स्तम्भ सीधा जमीन पर किसी धुप भरे दिन में क्षेत्रीय समय दोपहर 12:00 बजे खड़ा करने पर; छायाँ उत्तर या दक्षिण में दिखता है (या नहीं दिखता है जब सूर्य सीधा सर पर हो) अगले दिन ठीक 12:00 बजे छायाँ फिर से उसी स्थिति में दिखता है, ऐसा प्रतित होता है जैसे सूरज 360 डिग्री अर्ध-वृत्त में धुरी का चक्कर लगाता है। जब सूरज 15 डिग्री आगे बढ़ता है (वृत्त का 1/24 भाग), तो उस समय ठिक समय 13:00 होगा; और 15 डिग्री आगे बढ़ने पर समय ठिक 14:00 होगा।

परेशानी यह है कि सितम्बर में सूरज कम देर तक रहता है (जैसा कि एक विशुद्ध घड़ी से मापा गया है) और जब सूरज के परिक्रमा को दिसम्बर में मापा जाता है तो 24 घंटे के समय में 21 सेकण्ड की कमी या 29 सेकण्ड कि अधिक्ता हो सकती है। जैसा कि इक्वेशन ऑफ़ टाइम लेख में कहा गया है, कि ऐसा इसलिये होता है क्योंकि पृथ्वी का भ्रमण-पथ विकेन्द्रित है। (उदाहरणार्थ: पृथ्वी का परिक्रमा-पथ पूर्णतः गोल नहीं है, माने कि सूरज से पृथ्वी कि दुरी हर जगह बराबर नहीं है) और पृथ्वी की धुरी अपने परिक्रमा-पथ पर सीधा नहीं है। (ग्रह का तिरछापन)


इस से प्रभाव यह पड़ता है कि लगातार एक समान चलने वाली घड़ी सूरज को अनुसरण नहीं कर सकती है, बल्कि यह सिर्फ एक “मानक सूरज” का अनुसरण कर सकती है जो एक समान बराबर दर से चलती है जो असली सूरज के सालाना औसत दर पर चलती है। यह “मानक सौर समय” है जो एक सदी से अगले सदी तक पूर्णतः बराबर रूप से चलता है पर कई उद्देश्यों के लिए यह बहुत समीप है। वर्तमान में एक मानक सौर दिन लगभ 86,400.002 एसआइ सेकण्ड है।




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