श्यानता (Viscosity) आम तौर पर यह देखा जाता है कि सभी वस्तुएँ, चाहे वे गैस, द्रव अथवा ठोस हों, यदि उनका विरूपण (deformation) होता है, अथवा उनके पिंड (body) के विभिन्न हिस्सों में सापेक्ष गति (relative motion) कराई जाती है, तो उनमें अवरोध करने की प्रवृत्ति होती है।

  • कुछ वस्तुओं में इस प्रवृत्ति की कोटि (degree) ज्यादा होती है और कुछ में कम। जब हम पानी को चिकनी सतह पर गिराते हैं, तो यह देखा जाता है कि पानी तेजी से बहता है, लेकिन यदि हम शीरा (treacle) या ग्लिसरीन की उतनी ही मात्रा उसी प्रकार की चिकनी सह पर गिराएँ, तो यह सतह पर फैलने में ज्यादा समय लेता है।
  • शीरे की किस्म की वस्तुओं को, जो फैलने में ज्यादा समय लेती हैं, साधारण लोगों की भाषा में चिपचिपी या श्यान (viscous) कहते हैं, जब कि पानी जैसी वस्तुओं को तरल अथवा गतिशील (mobile) की संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि शीरा पानी से ज्यादा श्यान है।
  • दूसरों शब्दों में यह भी कहा जाता है कि स्वरूपपरिवर्तन शीरे में धीरे धीरे होता है, जब कि पानी जैसी वस्तुओं में तेजी से। श्यानता तरलों (fluids) का वह गुण है जिसके कारण तरल उन बां (forces) का विरोध करता है जो उसके स्वरूप को बदलना चाहते हैं।
  • इस प्रकार हम श्यानता को किसी भी द्रव अथवा गैस के आंतरिक घर्षण (internal friction), के रूप में भी देख सकते हैं। द्रवों तथा गैसों, दोनों में, श्यानता का गुण पाया जाता है, लेकिन द्रव गैसों की अपेक्षा ज्यादा श्यान होते हैं। इसी श्यानता के कारण द्रव की एक परत (layer) दूसरी परत पर होकर आगे बढ़ती है।
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