काल कोठरी नामक घटना पश्चिम बंगाल की एक घटना है, जो स्वतंत्रता पूर्व काल की है।

ब्लैक होल दुर्घटना युद्ध की आम प्रणाली के अनुसार फोर्ट विलियम के 146 बंदियों को 20 जून, 1756 की रात 18 फुट लंबे एवं 14 फुट 10 इंच चौड़े अंधेरे कमरे में बंद कर दिया गया। इन बंदियों में महिलाएँ एवं बच्चे भी थे। 21 जून की सुबह इनमें से सिर्फ 23 व्यक्ति जीवित बचे यह घटना ब्लैक होल दुर्घटना (Black Hole Tragedy) कहलाती है।

जीवित रहने वालों में ‘हालवैल’ भी थे, जिन्हें ही इस घटना का रचयिता माना जाता है। (हालवैल कलकत्ता का एक सैनिक अधिकारी था जिसको कलकत्ता का तत्कालीन गवर्नर ‘डेक’ सिराजुद्दौला से भयभीत होकर कलकत्ता का उत्तरदायित्व सौपकर भाग गया था।)

इतिहास में इस घटना का महत्व केवल इतना ही है, कि अंग्रेज़ों ने इस घटना को आगे के आक्रामक युद्ध का कारण बनाये रखा।

अधिकांश इतिहासकार इस घटना की प्रमाणिकता को नकारते हैं।

  • समकालीन इतिहासकार गुलाम हुसैन ने आधुनिक भारत पर अपनी रचना सियार-उल मुख्नरैन में भी इसका कोई वर्णन नहीं किया है।
  • जे.एच.लिटिल (आधुनिक इतिहासकार) के अनुसार- “हालवैल तथा उसके उन सहयोगियों ने इस झूठी घटना का अनुमोदन किया था और इस मनगढ़न्त कथा को रचने का षड्यन्त्र किया था।

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