जनहित याचिका(Public Interest Litigation-PIL)

  • यह एक ऐसी याचिका है, जिसके माध्यम से पीड़ित व्यक्ति स्वयं या अन्य कोई व्यक्ति या संस्था द्वारा पीड़ित व्यक्ति की ओर से न्यायालय के समक्ष प्रश्न उठाया जाता है।
  • जनहित याचिका मानव अधिकारों और समानता को आगे बढ़ाने या व्यापक सार्वजनिक चिंता के मुद्दों को उठाने के लिये कानून का उपयोग है।
  • ‘जनहित याचिका ’ की अवधारणा अमेरिकी न्यायशास्त्र से ली गई है।
  • जनहित याचिका की इस प्रणाली ने भारत में पूर्व प्रचलित Locus standi (केवल प्रभावित व्यक्ति ही न्याय पाने के अधिकार की अपील कर सकता है ) को बदल दिया।
  • भारत के पूर्व न्यायाधीश पी.एन. भगवती को ‘जनहित याचिका का जनक’ माना जाता है।
  • जनहित याचिका एक विशिष्ट साधन है जिसे गरीबों, दलितों और कमजोर वर्ग के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
  • भारतीय कानून में PIL का मतलब जनहित की सुरक्षा के लिये याचिका या मुकदमा दर्ज करना है।
  • यह न्यायिक सक्रियता के माध्यम से अदालतों द्वारा जनता को दी गई शक्ति है।
  • जनहित याचिका को केवल सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में दायर किया जा सकता है।
  • यह रिट याचिका से अलग है, जो व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा अपने लाभ के लिये दायर की जाती है, जबकि जनहित याचिका आम जनता के लाभ के लिये दायर की जाती है।
  • जनहित याचिका की अवधारणा भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 A में निहित सिद्धांतों के अनुकूल है
  • वे क्षेत्र जहाँ जनहित याचिका दायर की जा सकती है- प्रदूषण, आतंकवाद, सड़क सुरक्षा, निर्माण संबंधी खतरे आदि। 
  • जनहित याचिका सामाजिक परिवर्तन और कानून के शासन को बनाए रखने तथा कानून एवं न्याय के बीच संतुलन को तीव्र गति देना का एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
  • जनहित याचिकाओं का मूल उद्देश्य गरीबों और हाशिये के वर्ग के लोगों के लिये न्याय को सुलभ या न्याय संगत बनाना है। यह सभी के लिये न्याय की पहुँच का लोकतंत्रीकरण करता है।
  • यह राज्य संस्थानों जैसे- जेलों, आश्रयों, सुरक्षात्मक घरों आदि की न्यायिक निगरानी में मदद करता है।
  • न्यायिक समीक्षा की अवधारणा को लागू करने के लिये यह एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है।
  • पीआईएल(PIL), वास्तव में, अदालत और सभी पक्षों के बीच एक सहयोगी प्रयास है ,जहां हर कोई समस्या के समाधान की मांग करने के लिए एक साथ आ सकता है।
  • किसी एक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होने पर भी जनहित याचिका दायर की जा सकती है।
  • कोई भी व्यक्ति जो सामाजिक हितों के बारे में सोच रखता हो, वह जनहित याचिका दायर कर सकता है। इसके लिये यह जरूरी नहीं कि उसका व्यक्तिगत हित भी सम्मिलित हो।

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