प्रथम कर्नाटक युध्द का प्रारम्भ 

  • फ्रेंच और अंग्रेजो के बीच तीन युध्द हुए जिन्हें कर्नाटक युध्द के नाम से जाना जाता है
  • प्रथम कर्नाटक युध्द 1746 से 1748 तक चला ये ऑस्ट्रिया के अधिकार युध्द जो कि 1740में प्रारम्भ हुआ था उसी का विस्तार था

फ्रेंच गवर्नर

  • डूपले 1741 ई. में पाण्डिचेरी का गवर्नर बन के आया तथा 1742 में अपनी भारतीय सेना का गठन किया डूपले फ्रेंच गवर्नर था

अंग्रेजों की सेना का गठन 

  • अंग्रेजों ने 1746 ई. में अपनी सेना का गठन किया 1746 में एक सेनापति बारनेट ने फ्रांसिसियों के कूछ जहाज पकड लिए

मद्रास पर फ्रेंचों का अधिकार

  • डूपले के आमंत्रण पर 3000 सैनिकों को ले के मॉरिशियस के फ्रेंच गवर्नर लाबुंडो ने मद्रास को घेर लिया परंतु उसने कुछ राशि देकर मद्रास नगर अंग्रेजों को लौटा दिया
  • परंतु डूप्ले ने इसकी मान्यता नहीं ली और मद्रास को अपने अधिकार में ले लिया परंतु पाण्डिचेरी से 18 मील दूर सेंट डेविड पर वह अधिकार नहीं कर सका

अलबरुद्दीन का आदेश

  • दोनों कम्पनियों के आपसी टकराव से भंग हो रही शांति को कायम करने के उद्देश्य से कर्नाटक के नबाब अलबरुद्दीन ने दोनों कम्पनियों को युध्द बंद करने का आदेश दिया

डूप्ले की मद्रास पर विजय 

  • डूपले ने मद्रास जीत कर अलबरुद्दीन को सौंपंने का प्रस्ताव दिया था
  • परंतु बाद में उसके द्वारा ऐसा नहीं किये जाने पर अंडियार नदी के किनारे सेंट टॉमे नामक स्थान पर नबाब की सेना महफूज खाँ के नेतृत्व में तथा फेंच सेना कैप्टन पैराडाइज के नेतृत्व में वहाँ पहुँची तथा उनके बीच युध्द हुआ
  • इस युध्द में अंग्रेजों ने नबाब की मदद की

फ्रांसिसियों की विजय 

  • फ्रांसिसियों की लगभग 1000 संख्या वाली छोटी सेना ने 10,000 संख्या वाली नवाब की सेना को परास्त कर दिया
  • इसके बाद एक संधि हुयी एक्सला सापेल की संधि 1748 में इसके द्वारा यूरोप में फ्रांस एवं बिट्रेन की बीच युध्द समाप्त हो गया इसके साथ ही भारत में प्रथम कर्नाटक युध्द समाप्त हो गया

Quick Notes

कार्नेटिक युद्ध – I (1746-48 ई०) 

  • यह युद्ध ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध, जो कि 1740 ई० में आरंभ हुआ, का विस्तार मात्र था  |
  • डूप्ले 1741 ई० में पांडिचेरी का गवर्नर बनकर आया तथा 1742 ई० में अपनी भारतीय सेना का गठन किया।
  • अंग्रेजों ने 1746 ई० में अपनी भारतीय सेना का गठन किया।
  • 1746 ई० में एक अंग्रेज सेनापति बारनेट ने फ्रांसीसियों के कुछ जहाज पकड़ लिये।
  • डूप्ले के आमंत्रण पर 3000 सैनिकों को लेकर मारीसस के फ्रेंच गवर्नर ला-बुर्डीने ने मद्रास को घेर लिया। परंतु, उसने कुछ राशि लेकर मद्रास नगर अंग्रेजों को लौटा दिया।
  • परंतु डूप्ले ने इसकी मान्यता नहीं दी एवं मद्रास को अपने अधिकार में कर लिया, परंतु पांडिचेरी से 18 मील दूर सेंट डेविड पर अधिकार न कर सका।
  • दोनों कंपनियों के आपसी टकराव से भंग हो रही शांति को कायम रखने के उद्देश्य से कर्नाटक के नवाब अनवरूद्दीन ने दोनों कंपनियों को युद्ध बंद करने का आदेश दिया।
  • डूप्ले ने मद्रास जीतकर अनवरूद्दीन को सौंपने का प्रस्ताव दिया था, परंतु बाद में उसके द्वारा ऐसा नहीं किये जाने पर अड्यार नदी के किनारे सेंट टॉमे नामक स्थान पर नवाब की सेना (महफूज खाँ के नेतृत्व में) तथा फ्रेंच सेना (कैप्टन पेराडाइज के नेतृत्व में) के बीच युद्ध हुआ इस युद्ध में अंग्रेजों ने नवाब को मदद की।
  • फ्रांसीसियों की लगभग 1000 की छोटी संख्या वाली सेना ने 10000 की बड़ी संख्या वाली नवाब की सेना को परास्त कर दिया।
  • एक्स-ला-शॉपल संधि (1748 ई०) के द्वारा यूरोप में फ्रांस एवं ब्रिटेन के बीच युद्ध समाप्त हो गया तथा साथ ही भारत में भी प्रथम कार्नेटिक युद्ध भी समाप्त हो गया।

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