भारत के विभिन्न भागों के बहुत बड़े क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों ने 19वीं सदी में कई लड़ाइयाँ लड़ीं |

वे आपस में संगठित हुए और उन्होने अत्यंत जुझारू संघंर्ष किया और असीम शौर्य व बलिदान का परिचय दिया, पुलिस और अन्य छोटे मोटे अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों, शोषण और जबरन उगाही ने आदिवासियों या जनजातियों का जीना दूभर हो गया था |

लगान वसूलने वाले लोग और महाजनों जैसे सरकारी बिचौलिये और दलाल इन आदिवासियों का शोषण तो करते ही थे, उनसे जबरन बेगार भी कराते थे | इसके फलस्वरूप असंतोष गहराता गया और उनके हर विद्रोह का एकमात्र कारण यही था |

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