मोतीलाल नेहरू
- मोतीलाल नेहरू एक प्रख्यात वकील, कुशल राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देशबन्धु चितरंजन दास के साथ मिलकर वर्ष 1922 में स्वराज पार्टी की स्थापना की
- इनके नेतृत्व में ही ‘नेहरू कमेटी रिपोर्ट (वर्ष-1928)’ के नाम से प्रसिद्ध संवैधानिक प्रारूप तैयार किया गया था।
जवाहरलाल नेहरू
- जवाहरलाल नेहरू एक महान स्वतंत्रता सेनानी तथा देशके प्रथम प्रधानमंत्री थे।
- 1929 ई. के लाहौर अधिवेशन में पहली बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये थे।
- इसी ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया था।
- 2 सितम्बर, 1946 ई. को अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने तथा 15 अगस्त, 1947 ई. को स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला।
- विश्व राजनीति में भी इनकी प्रमुख भूमिका रही।
- उन्होंने तीसरी दुनिया के देशों को संगठित कर गुटनिरपेक्ष आंदोलन को जन्म दिया।
- उन्होंने विश्व शांति के लिए ‘पंचशील सिद्धांत‘ दुनिया के सामने रखा।
सुभाषचंद्र बोस
- नेताजी के रूप में प्रसिद्ध सुभाषचंद्र बोस भारतीय सिविल सेवा में सफलता के बाद त्याग-पत्र देकर राजनीति में आ गये थे।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1938 के हरिपुरा और 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन के अध्यक्ष रहे परंतु गाँधी जी के विरोध के कारण 1939 में ही इस्तीफा दे दिया था।
- 1939 में ही उन्होंने फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना की।
- 1941 में वे पुलिस को चकमा देकर अपनी नजरबंदी के दौरान देश से बाहर निकल गये।
- जापान सरकार के सहयोग से उन्होंने द्वितीय विश्व यद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज का गठन कर भारत को ब्रिटेन से मुक्त करवाने के लिए सैनिक कार्रवाई का नेतृत्व किया।
- उन्होंने सिंगापुर में स्वतंत्र भारतीय सरकार की भी स्थापना की। इसका मुख्यालय सिंगापुर में भी था।
- जापान की पराजय के बाद उन्हें पीछे हटना पड़ा। इसी दौरान 1945 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी।
डॉ. पट्टाभि सीतारमैया
- डॉ. पट्टाभि सीतारमैया पेशे से चिकित्सक तथा प्रमुख राष्ट्रवादी नेता थे, जिन्होंने कांग्रेस का इतिहास लिखा।
- 1939 में त्रिपुरी अधिवेशन में गाँधीजी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और सुभाषचंद्र बोस से पराजित हो गये।
मदन मोहन मालवीय
- मदन मोहन मालवीय अग्रणी राष्ट्रवादी तथा देशभक्त थे।वे आरंभ में एक स्कूल अध्यापक तथा बाद में व्यवसाय से वकील रहे।
- इन्होंने 1909 में वकालत छोड़ दी तथा पत्रकारिता में अपनी रूचि दिखाई। यह 1886 से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य रहे तथा1909 में इसके अध्यक्ष भी रहे।
- 11921 में इम्पीरियल कौंसिल के लिए चुने गये और अंग्रेजों की नीतियों के बड़े आलोचक रहे।
- मदन मोहन मालवीय हिन्दू महासभा के संस्थापक सदस्य इन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की और 1919 से 1938 तक इसके कुलपति रहे।
सर तेज बहादुर सप्रू
- सर तेज बहादुर सप्रू अग्रणी विधिवेत्ता एवं कांग्रेस के नरम दलीय नेता थे, जिन्होंने नेशनल कन्वेंशन की स्थापना भारत के संवैधानिक विकास की दृष्टि से की थी।
- इन्होंने गोलमेज सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा दूसरे गोलमेज सम्मेलन में गाँधीजी के भाग लेने की पृष्ठभूमि भी तैयार की थी।
- सन् 1934 में डॉ. सप्रू को प्रिवी कौंसिल का सदस्य बनाया गया था।
खान अब्दुल गफ्फार खान
- खान अब्दुल गफ्फार खान किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय आंदोलन के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने पठानों के मन में राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार किया।
- सन् 1930-47 के दौरान कांग्रेस द्वारा चलाये गये सभी राजनीतिक आंदोलनों में इनकी प्रमुख भूमिका रही और इन्होंने लगभग चौदह वर्ष जेल में बिताये।
- सन् 1929 में इन्होंने खुदाई खिदमतगार नामक संगठन कीस्थापना की, जो समर्पित कार्यकर्ताओं का एक शांतिवादी समूह था।
- ये भारत विभाजन के प्रबल विरोधी थे। विभाजन के बाद इन्होंने पख्तूनिस्तान बनाने के लिए सक्रिय अभियान चलायाऔर इसीलिए पाकिस्तानी प्रशासकों ने उन्हें कई बार जेल में बंद रखा।
- सामान्यतया ये सीमान्त गाँधी, बादशाह खाँ, फख–ए–अफगानआदि के नाम से जाने जाते थे।
- इन्हें 1987 में भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
मानवेन्द्रनाथ राय
- मानवेन्द्रनाथ राय साम्यवादी नेता थे, जो विश्व के अनेक साम्यवादी नेताओं के साथ घनिष्त रूप से जुड़े थे। लेनिन के निमंत्रण पर वे तत्कालीन सोवियत संघ गये।
- 1924 में इन्हें कम्युनिस्ट इंटरनेशनल का पूर्णकालिक सदस्य चुना गया तथा चीन सहित एशिया में यह साम्यवादी. आंदोलन के संगठन प्रभारी रहे।
- इन्होंने भारत में क्रांतिकारी आंदोलन का विकास करने का भी प्रयास किया।
- इन्हें कानपुर साम्यवादी षड्यंत्र कांड में गिरफ्तार कर 6 वर्ष की कैद की सजा दी गयी थी।
- यहाँ से रिहाई के उपरांत ये कांग्रेस में शामिल हो गये, जिसे इन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ होने के बाद छोड़ दिया।
- कांग्रेस छोड़ने के बाद इन्होंने अतिवादी प्रजातांत्रिक पार्टी तथा भारतीय श्रमिक संघ का गठन किया।
- इन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मानवतावाद नामक संगठन की भी स्थापना की।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति और दर्शन के महान विद्वान थे।
- ये लंदन, मैनचेस्टर तथा ऑक्सफोर्ड सहित चार-पाँच विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उप-कुलपति रहे तथा भारत के दो बार उपराष्ट्रपति एवं एक बार राष्ट्रपति भी रहे।
सी. राजगोपालाचारी सी.
- राजगोपालाचारी एक चतुर राजनीतिज्ञ एवं स्पष्ट विचारक थे।
- ये मद्रास के मुख्यमंत्री (1937-39). 1947 में केन्द्र सरकार के मंत्री, 1947 में ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।
- ये 1948-50 में भारत के प्रथम भारतीय एवं अंतिम गवर्नर जनरल रहे।
- इन्होंने दशमलव प्रणाली पर आधारित सिक्कों के चलन तथा दक्षिण में हिन्दी लागू करने का विरोध किया।
- इन्होंने स्वतंत्र पार्टी के नाम से नयी राजनीतिक पार्टी का गठन किया।
विट्टल भाई पटेल
- विट्टल भाई पटेल सरदार पटेल के भाई, एक कानूनविद् एवं राष्ट्रवादी नेता थे, जो 1917 में मुम्बई विधानसभा के लिए चुने गये और भारत सरकार अधिनियम के संबंध में लंदन सम्मेलन (1919) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।
- इन्हें केन्द्रीय विधानसभा का प्रथम भारतीय अध्यक्ष बनने का गौरव मिला।
- कई बार ये आंदोलनों के दौरान जेल भी गये और 1939 में स्विट्जरलैण्ड प्रवास के दौरान इनकी मृत्यु हो गयी थी।
मोहम्मद अली जिन्ना
- मोहम्मद अली जिन्ना एक प्रसिद्ध वकील, मुस्लिम लीग के. नेता तथा पाकिस्तान के संस्थापक थे।
- कांग्रेस से अपना राजनीतिक जीवन प्रारंभ करने वाले जिन्ना बाद में साम्प्रदायिक राजनीति से सम्बद्ध हो गये।
- इन्होंने ही मुख्यतः ‘दि–राष्ट्र सिद्धांत‘ का प्रतिपादन किया तथा पाकिस्तान के निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत रहे।
लियाकत अली खाँ
- लियाकत अली खाँ मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता थे, जो नेहरू की अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री रहे।
- इन्होंने पाकिस्तान के निर्माण में जिन्ना को सहयोग दिया और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।
देशबंधु चितरंजन दास
- देशबंधु चितरंजन दास एक प्रखर राष्ट्रवादी एवं कुशल विधिवेता थे, जिन्होंने 1922 में स्वराज पार्टी की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाई।
- ये ‘दास स्वराज पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे। इन्होंने इससे पूर्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1922 के गया अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- राजेन्द्र प्रसाद एक महान राजनीतिज्ञ, प्रखर विधिवेत्ता तथा स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी थे।
- गाँधी जी के अनुयायी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष रहे।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति बने। इनका कार्यकाल 1950-1982 तक रहा था।
सेठ जमनालाल बजाज
- सेठ जमनालाल बजाज एक प्रसिद्ध उद्योगपति एवं गाँधी जी के अनुयायी थे, जो जीवनपर्यन्त कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने रहे।
- वर्धा में ‘सत्याग्रह आश्रम’ की स्थापना में इनकी प्रमुख भूमिका रही थी।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर दलित वर्ग के नेता थे, जो जीवनपर्यंत अछतों की नैतिक तथा भौतिक उन्नति के लिए कार्य करते रहे।
- ये पेशे से विधिवेत्ता और समान रूप से महान सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, लेखक तथा शिक्षाविद् थे।
- ये 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष चुने गये तथा अंतरिम सरकार में विधिमंत्री के रूप में शामिल थे।
- इन्होंने निम्न जातियों को समानता का स्तर दिलाने के लिए अनेक आंदोलन चलाये।इन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा‘ की स्थापना की थी।
अबुल कलाम आजाद
- अबुल कलाम आजाद प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान थे। इनका जन्म मक्का में हुआ था।
- ये 36 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
- इन्होंने पत्रकारिता का भी कार्य किया तथा ‘अल नदवाह, दि वकील, अल–हिलाल तथा अल–बलप जैसे बहुत से समाचार पत्रों का प्रकाशन किया।
- 1940 में वे दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष बने तथा जून 1948 तक इस पद पर बने रहे।
- उन्होंने भारत विभाजन का तीव्र विरोध किया तथा स्वतंत्रता के बाद 22 फरवरी 1958 को अपनी मृत्यु होने तक आजाद नेहरू मंत्रिमण्डल में शिक्षा मंत्री रहे।
- “इंडिया विन्स फ्रीडम‘ इनकी सुप्रसिद्ध आत्मकथात्मक पुस्तक है।
राधाकांत देव
- राधाकांत देव 19वीं सदी में बंगाल में सनातनी हिंदुओं के प्रसिद्ध नेता थे।
- इन्होंने कलकत्ता में हिन्दू स्कूल की स्थापना में डेविड हेयर को सहयोग दिया।
- इन्होंने स्कूल बुक सोसायटी की स्थापना में भी प्रमुख भूमिका अदा की।
- इन्होंने कट्टर हिन्दू संगठन ‘धर्म सभा’ की स्थापना की और हिन्दू समाज में हो रहे सुधारों का विरोध किया।
- ये सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाये जाने के विरोधी थे। ।
चंद्रशेखर आजाद
- चंद्रशेखर आजाद उत्तर प्रदेश के रहने वाले सुप्रसिद्धक्रांतिकारी थे।
- यह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी एसोसिएशन के साथ सक्रियता से जुड़े हुए थे तथा काकोरी षड्यंत्र केस (1925) एवं लाहौर षड्यंत्र केस जैसे अनेक क्रांतिकारीआतंकवादी काण्डों से सम्बद्ध थे।
- एल्फ्रेड पार्क इलाहाबाद में पुलिस के साथ मुडभेड़ में वे शहीदहो गये थे।
राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी
- राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी एक महान क्रांतिकारी और हिन्दुस्तानसोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख सदस्य थे।
- काकोरी डकैती और शेरगंज, बिचपुरी तथा मैनपुरी आदि में क्रांतिकारियों द्वारा किये गये हमलों में इनकी सक्रिय भूमिका रही थी।
- इन्हें गिरफ्तार करके मृत्युदंड दे दिया गया था।
राम प्रसाद बिस्मिल
- राम प्रसाद बिस्मिल उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहने वाले सक्रिय क्रांतिकारी समाजवादी गणतंत्रीय संघ/सेना के सदस्य थे।
- इन्हें ‘काकोरी ट्रेन डकैती कांड (1925) में शामिल होने के कारण मृत्युदंड दिया गया।
- आजादी के प्रसिद्ध आहान गीत ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजए कातिल में है” के लेखक राम प्रसाद बिस्मिल ही थे।
मैडम भीखाजी कामा
- मैडम भीखाजी कामा भारत की प्रथम सुविख्यात महिला क्रांतिकारी थीं।
- ये यूरोप में रहने वाले भारतीयों की अभिनव भारत समिति की प्रेरक शक्ति भी थीं।
- 1907 में इन्होंने स्टुटगार्ट की समाजवादी कांग्रेस में भाग लिया, जहाँ इन्होंने प्रथम भारतीय राष्ट्रीय झण्डे को फहराया, जिसका डिजाइन इन्होंने स्वयं तैयार किया था।
- इन्होंने यह घोषणा की कि भारत एक गणराज्य होगा तथा हिन्दी उसकी राष्ट्रभाषा तथा राष्ट्रीय लिपि देवनागरी होगी। इन्हें ‘भारतीय क्रांतिकारियों की माता‘ भी कहा जाता है।
सरोजिनी नायडू
- सरोजिनी नायडू प्रख्यात कवयित्री और राष्ट्रवादी नेता थीं।
- 1925 में कानपुर में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्षा बनीं।
- स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने पर इन्हें कई बार जेल की सजा 1947-48 में यह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल भी रहीं।
लाला लाजपत राय
- पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी तथा उग्रवादी नेता लाजपतराय सामान्यतया ‘पंजाब केसरी‘ के नाम से जाने जाते हैं।
- इन्होंने अपना राजनीतिक जीवन इलाहाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेकर प्रारंभ किया।
- यह भारत में उग्रवादी राजनीति के तीन स्तम्भों लाल–बाल–पाल में से एक थे।
- 1907 में इन्होंने पंजाब में विशाल कृषक आंदोलन का संगठनऔर इसका नेतृत्व किया। इसी कारण उन्हें अजीत सिंह के साथ बर्मा (म्यांमार) में निर्वासित कर दिया गया।
- 1920 में इन्होंने कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता की। इन्होंने असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और उसके स्थगन के उपरांत स्वराज पार्टी में शामिल हो गये।
- 30 अक्टूबर, 1928 को लाहौर में साइमन आयोग विरोधी जुलूस का नेतृत्व करते हुए इन पर निर्दयतापूर्वक लाठी चार्ज किया गया तथा उसकी चोटों के कारण 18 दिनों बाद 17 नवम्बर, 1928 को इनकी मृत्यु हो गयी।
- लालाजी एक बहुत अच्छे लेखक एवं पत्रकार भी थे।
- इन्होंने एक उर्दू दैनिक ‘वन्दे मातरम‘ और एक अंग्रेजी साप्ताहिक ‘द पीपुल‘ निकाला।
भगत सिंह
- 1923 में भगत सिंह हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में सम्मिलित हुए तथा उसके महासचिव चुने गये।
- 1925 में इन्होंने युवाओं में क्रांतिकारी भावना भरने के लिए लाहौर में ‘नौजवान भारत सभा‘ की स्थापना की।
- लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए इन्होंने 18 दिसम्बर, 1928 को गोली मारकर साण्डर्स की हत्या कर दी।
- 8 अप्रैल, 1929 को इन्होंने ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल‘ के खिलाफ आवाज बुलंद करने हेतु दिल्ली में केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंका तथा गिरफ्तारी दी।
- लाहौर षड्यंत्र केस में इन पर मुकदमा चला तथा 23 मार्च 1931 को इन्हें सुखदेव तथा राजगुरू के साथ लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गयी।
के. एम. मुंशी
- भारतीय संविधान सभा के सदस्य के.एम. मुंशी महान लेखक शिक्षाविद् एवं अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी थे।
- ये ‘भारतीय विद्या भवन‘ नामक न्यास के संस्थापक थे। ‘भारतीय विद्या भवन’ शैक्षिक गतिविधियों के संचालन में लगा है।
- ये स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे।
सरदार वल्लभ भाई पटेल
- सरदार वल्लभ भाई पटेल एक प्रसिद्ध देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानी एवं कुशल राजनेता, जिन्होंने वर्ष 1928 में बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
- 1946 ई. में गठित अंतरिम सरकार के बाद वे भारत के पहले गृहमंत्री तथा प्रथम उप-प्रधानमंत्री बनाये गये।
- भारतीय गणराज्य में देशी रियासतों का सफलतापूर्वक विलय इन्हीं के प्रयासों से हुआ था।
विनोबा भावे
- प्रसिद्ध गांधीवादी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने वर्धा आश्रम के संचालन का दायित्व निभाया।
- विनोबा भावे को वर्ष 1940 में व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान प्रथम सत्याग्रही नियुक्त किया था।
- विनोबा जी ने जनहित में सर्वोदय आंदोलन चलाया।
स्वामी सहजानंद सरस्वती
- स्वामी सहजानंद सरस्वती सन्यासी, कृषक नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे।
- इन्होंने असहयोग आन्दोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
- इन्होंने सामंतवादी उत्पीड़न के ज्वलंत प्रश्नों जैसे बेगार बलात् वसूली, बेदखली आदि को उठाते हुए किसानों को आंदोलन एवं संघर्ष के लिए संगठित किया।
- 1929 में इन्होंने ‘बिहार किसान सभा का गठन किया एवा अखिल भारतीय किसान सभा के विभिन्न सम्मेलनों की अध्यक्षता भी की।
डॉ. जाकिर हुसैन
- डॉ. जाकिर हुसैन कांग्रेस के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता एवं शिक्षाविद् थे, जिन्होंने शिक्षा की वर्धा योजना तैयार की थी।
- ये जामिया मिलिया मुस्लिम विश्वविद्यालय तथा अलीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे।
- इन्होंने भारत के राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया।