यह एक सामान्य अनुभव है कि किसी वस्तु का ताप बढ़ाने के लिये उसे उष्मा देनी पड़ती है। किन्तु अलग-अलग पदार्थों की समान मात्रा का ताप समान मात्रा से बढ़ाने के लिये अलग-अलग मात्रा में उष्मा की जरूरत होती है।

  • किसी पदार्थ की इकाई मात्रा का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस पदार्थ का विशिष्ट उष्मा धारिता (Specific heat capacity) या केवल विशिष्ट उष्मा कहा जाता है।
  • इससे स्पष्ट है कि जिस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा अधिक होगी उसे गर्म करने के लिये अधिक उष्मा की आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिये, शीशा (लेड) का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये जितनी उष्मा लगती है उससे आठ गुना उष्मा एक किलोग्राम मग्नीशियम का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक होती है। किसी भी पदार्थ की विशिष्ट उष्मा मापी जा सकती है।

उष्मा, उष्मा-धारिता एवं ताप-परिवर्तन


  • जब पदार्थ की मात्रा द्रव्यमान के रूप में दी हो तो –
{\displaystyle \Delta Q=mc\Delta T}
जहाँ {\displaystyle \Delta Q} पदार्थ को दी गयी/पदार्थ से ली गयी उष्मा की मात्रा है;

{\displaystyle m} पदार्थ का द्रव्यमान है; {\displaystyle c} विशिष्ट उष्मा धारिता है; और {\displaystyle \Delta T} ताप में परिवर्तन है।

  • जब पदार्थ की इकाई मात्रा मोल के रूप में दी गयी हो तो-
{\displaystyle \Delta Q=nc\Delta T}
जहाँ {\displaystyle \Delta Q} पदार्थ को दी गयी/पदार्थ से ली गयी उष्मा की मात्रा है;

{\displaystyle n} मोलों की संख्या है; {\displaystyle c} विशिष्ट उष्मा है; तथा {\displaystyle \Delta T} ताप में परिवर्तन है।




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