संसद में विधायी प्रक्रिया (Legislative process in parliament)
- भारतीय संविधान में वैज्ञानिक विधि के लिए कुछ व्यवस्थाएं निश्चित की हुई है इन व्यवस्थाओं के अतिरिक्त वैधानिक प्रक्रिया के विषय में विस्तृत विवरण लोकसभा और राज्यसभा की विधि नियमों में अंकित है |
- संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार वित्तीय विधेयक को छोड़कर कोई भी विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है विधेयकों को सामान्यतः तीन प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है |
सरकारी व गैर सरकारी विधेयक (Government and non-governmental bills)
- सरकारी विधेयक मंत्री प्रस्तुत करते हैं, जबकि गैर-सरकारी विधेयक संसद के सामान्य सदस्य प्रस्तुत करते हैं गैर-सरकारी सदस्यों के अब तक 14 विधेयक पारित हुए हैं कुछ प्रमुख विधेयक निम्न हैं-
सरकारी व गैर सरकारी विधेयक के आधार पर वर्गीकरण
सामान्य वर्गीकरण, विशेष वर्गीकरण
1. सामान्य वर्गीकरण
- साधारण विधेयक
- वित्त विधेयक
- संविधान संशोधन विधेयक
2. विशेष वर्गीकरण
- मूल विधेयक
- परिवर्तित विधेयक
- समेकन विधेयक
- अध्यादेश विधेयक
- वित्त विधेयक
- संविधान संशोधन विधेयक
- मुस्लिम वक्फ विधेयक (1952)
- भारतीय पंजीकरण विधेयक (1955)
- महिला बाल विधेयक (1954)
- उच्चतम न्यायालय अपीलीय क्षेत्राधिकार विस्तार विधेयक (1968)
विधेयकों का सामान्य वर्गीकरण (General classification of bills)
- साधारण विधेयक जो संसद के सामान्य बहुमत से पारित होते हैं |
- वित्त विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति लोकसभा में प्रस्तुत किए जाते हैं, वित्त विधेयक और धन विधेयक होते हैं उन्हें राज्यसभा केवल 14 दिन तक रोक सकती है |
- संविधान संशोधन विधेयक अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया के अंतर्गत पारित विधेयक |
विशेष विधेयक (Special bill)
- मूल विधेयक जिसमें नए प्रस्ताव और विचारों का नीतियों का उपबंध होता है |
- संशोधन विधेयक इनका उद्देश्य वर्तमान अधिनियमों में संशोधन करना होता है |
- समेकन विधि इस प्रकार के विधेयक किसी एक विषय पर वर्तमान सभी विधेयकों को एकीकृत करते हैं |
- अध्यादेश विधेयक यह अध्यादेश राष्ट्रपति द्वारा जारी को अधिनियम में बदलने के लिए लाए जाते हैं |
- वित्त विधेयक धन से संबंधित राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से लोकसभा में प्रस्तुत किए जाते हैं राज्यसभा में नहीं |
- संविधान संशोधन विधेयक अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया के साथ लाये जाते है व दो प्रकार के होते हैं |
- संसद के ⅔ बहुमत से पारित किए जाते हैं
- जो ⅔ बहुमत + आधे से अधिक राज्यों के विधान मंडलों के समर्थन से पारित होते हैं
उपरोक्त तीनों प्रकार के विधायकों को अधिनियम में परिवर्तन होने के लिए संसद के तीनों वचनों द्वारा दोनों सदनों से गुजरते हैं, चाहे सरकारी विधेयक हो या गैर सरकारी विधेयक संसद में प्रस्तुत होने के बाद दोनों में समान प्रक्रिया अपनाई जाती है परंतु मंत्रीमंडल की अनुमति केवल सरकारी विधेयकों पर ही लाई जाती है
प्रारूप तैयार करना वह मंत्रिमंडल में रखना (Draft the draft)
- सर्वप्रथम विभागीय मंत्रालय प्रस्ताव का प्रारूप तैयार करता है और इस पर विधि मंत्रालय व अटॉर्नी जनरल से परामर्श लेता है |
- फिर वह इस प्रारूप को वह मंत्रिमंडल के समक्ष रखता है मंत्रिमंडल की अनुमति के बाद वह संसदीय महासचिव को विधेयक प्रस्तुत करने संबंधी सदन की तिथि की सूचना देता है |
- कम से कम प्रस्तुत करने की तारीख से 7 दिन पूर्व महासचिव को सूचना देना जरूरी है |
- साथ में विधेयक की 2 प्रतियां भी महासचिव को दी जाती हैं सचिव अध्यक्ष विभाग कार्यमंत्रणा समिति के परामर्श से विधेयक को प्रस्तुत करने संबंधी तिथि व समय का निर्धारण करता है |
- कि जिस दिन विधेयक प्रस्तुत करना है, उसके 2 दिन पहले सदन के सभी सदस्यों को विधेयक की एक प्रति उपलब्ध कराना आवश्यक है |
प्रथम वाचन (First read)
- विधेयक प्रस्तुत करने से लेकर विधेयक के गजट में प्रकाशन तक की प्रक्रिया प्रथम वाचन में आती है |
- सबसे पहले संबंधित मंत्री सदन में विधेयक प्रस्तुत करने की अनुमति अध्यक्ष से मांगता है सामान्यतः इस पर मौखिक सहमति दे दी जाती है व इस पर चर्चा नहीं होती |
- परंतु विधायी क्षमता का प्रश्न उठने पर अध्यक्ष चर्चा की अनुमति दे देता है और इसमें अटॉर्नी जनरल संसदीय नियम 72 के तहत भाग ले सकता है |
- इसके बाद विधेयक को मतदान के लिए रखा जाता है और मतदान में पारित होने के बाद उसे गजट में प्रकाशित कर दिया जाता है |
- यदि विधायी क्षमता का प्रश्न नहीं उठता है तो मौखिक अनुमति के बाद विधेयक को सीधे ही गजट में प्रकाशित कर दिया जाता है निम्न प्रक्रिया में प्रथम वाचन में सदन की अनुमति आवश्यक नहीं है |
द्वितीय वाचन (Second reading)
इसमें तीन चरण होते हैं
- सबसे पहले विधि एक असामान्य चर्चा होती है तत्पश्चात चरण में प्रवर या संयुक्त समिति को विधेयक सौपा जाता है |
- प्रवर यह संयुक्त समिति अस्थाई समितियां होती है, प्रवर समिति मैं केवल विधेयक पेश करने वाले सदन के सदस्य होते है |
- जबकि संयुक्त समिति में दोनों सदनों लोकसभा व राज्यसभा के क्रमश: 2:1 में सदस्य रहते हैं लेकिन संयुक्त समिति का अध्यक्ष विधेयक पास होने वाले सदन का होता है |
- यह समितियां विधेयक पर खंडवार चर्चा कर अपना प्रतिवेदन सदन में पेश करती है समितियां विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव दे सकती है |
- परंतु यह मंत्री पर निर्भर करता है कि वह सदन में विस्तृत चर्चा के लिए मूल विधेयक को रखता है यह समिति द्वारा संशोधित विधेयक को मंत्री चर्चा से पहले विधेयक को नई समिति को भी सौंप सकता है |
- दूसरा सदन इसमें प्रथम सदन की भाँति तीन चरण या वचनों से विधायक को गुजरना पड़ता है |
तृतीय वाचन (Third reading)
इसमें विधेयक पर मतदान होता है
- राष्ट्रपति की अनुमति विधेयक को जब दोनों सदनों द्वारा पास कर दिया जाता है तो राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेज दिया जाता है उसके हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून में बदल जाता है |