राज्य विधानसभा के अधिकारी (State assembly officer)


विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष 

  • अनुच्छेद 173 के अनुसार, विधानसभा के सदस्य अपने में से किसी एक सदस्य को अध्यक्ष तथा एक अन्य को उपाध्यक्ष के पद के लिए चुन लेते हैं| उपरोक्त दोनों पदों में जब कोई पद रिक्त हो जाता है तो विधानसभा के किसी अन्य सदस्य को पद के लिए चुन लेते हैं |
  • विधानसभा अध्यक्ष का पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता है| वह सदन की मर्यादा एवं सदस्यों के विशेष अधिकारों का संरक्षक होता है विधानसभा अध्यक्ष वही कार्य करता है जो लोकसभा अध्यक्ष करता है |


अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का कार्यकाल

अध्यक्ष को 5 वर्षों के लिए निर्वाचित किया जाता है| विधानसभा भंग होने पर उसे अपना पद त्यागना नहीं पड़ता बल्कि वह नव निर्वाचित विधानसभा के प्रथम अधिवेशन होने तक अपने पद पर बना रहता है (अनुच्छेद 179) परंतु इस अवधि के समाप्त होने से पूर्व निम्न कारणों के आधार पर हटाया जा सकता है –

  1. यदि अध्यक्ष विधानसभा का सदस्य ना रहे तो उसे अपने पद त्यागना पड़ेगा |
  2. वह स्वेच्छा पूर्वक अपने पद से त्याग पत्र दे सकता है |
  3. विधानसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत के प्रस्ताव द्वारा भी अध्यक्ष को अपदस्थ किया जा सकता है| परंतु ऐसे प्रस्ताव प्रस्तुत करने से पूर्व अध्यक्षों को 14 दिन पूर्व सूचना देना अनिवार्य है| जब अध्यक्ष के विरुद्ध प्रस्ताव प्रस्तुत हो तो अध्यक्ष बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता है किंतु अध्यक्ष को उस प्रस्ताव के संबंध में बहस में भाग लेने तथा मत देने का पूर्ण अधिकार होता है |