मंत्री परिषद (Council of ministers)

  • जिस प्रकार केंद्रीय मंत्रिपरिषद केंद्र के शासन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है उसी प्रकार राज्य में मंत्रिपरिषद शासन का केंद्र बिंदु होती है |
  • अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल स्वविवेक तथा मंत्री परिषद की सहायता एवं सलाह के अनुसार कार्य करेगा मुख्यमंत्री राज्यपाल के माध्यम से मंत्री परिषद का निर्माण करता है|

मंत्री परिषद का कार्यकाल (Tenure of the council)


  • सामान्यतः मंत्री परिषद का कार्यकाल 5 वर्ष होता है परंतु मंत्री परिषद का कार्यकाल विधानमंडल में उसके बहुमत पर निर्भर करता है |
  • इसके अतिरिक्त राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन के लागू होने से मंत्रिपरिषद भंग हो जाती है |

मंत्रियों की योग्यताएँ (Qualifications of ministers)

  • मंत्री परिषद के सभी सदस्यों के लिए आवश्यक है कि विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य हो |
  • यदि कोई व्यक्ति मंत्री पद पर नियुक्ति के समय विधानमंडल का सदस्य नहीं है तो उसके लिए 6 माह के भीतर विधानमंडल की सदस्यता प्राप्त करना आवश्यक होता है ऐसा करने में असफल रहने पर मंत्री पद छोड़ना होता है |

मंत्री परिषद की सदस्य संख्या (Council member number)

  • 91 वें संशोधन अधिनियम 2003 के अंतर्गत मंत्रियों की संख्या निम्न सदन विधानसभा की कुल संख्या का 15% से अधिक नहीं हो सकती |
  • लेकिन केंद्र शासित राज्य में न्यूनतम मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री सहित 12 होगी इससे कम नहीं |


मंत्रियों का कार्य विभाजन (Division of ministers)

  • मंत्रियों में काल विभाजन राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श अनुसार करता है मंत्री के अधिकार के अंतर्गत प्राय एक ही प्रमुख विभाग किंतु कभी-कभी एक से अधिक विभाग भी रहते हैं मंत्रियों के अतिरिक्त प्रत्येक विभाग में सचिव, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, उपसचिव आदि स्थाई पदाधिकारी होते हैं |

मंत्रियों द्वारा शपथ ग्रहण (Swearing by ministers)

  • ग्रहण करने से पहले मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को राज्यपाल के समक्ष दो शपथे लेनी होती हैं [अनुच्छेद 164(3)]
  1. पद के कर्तव्य पालन की,
  2. गोपनीयता की |



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