राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार (State Legislature Privileges)

  • अनुच्छेद 194 के अंतर्गत राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार राज्य विधानमंडल के सदनों, इसके सदस्यों एवं इसकी समितियों को मिलने वाले विशेष अधिकारों, उन्मुक्तियों और छूटों का योग है| ये अधिकार इन कार्यवाहियों की स्वतंत्रता और प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है |
  • संविधान में राज्य विधानमंडल के विशेष अधिकारों और उन व्यक्तियों तक भी विस्तारित किया है जो राज्य विधान मंडल के सदन या इसकी किसी समिति की कार्यवाहियों में बोलने और भाषण देने के लिए अधिकृत है जैसे – महाधिवक्ता, राज्य मंत्री |
  • राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार राज्यपाल को प्राप्त नहीं होते हैं राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकारों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है |

सामूहिक विशेषाधिकार (Collective privilege)


सामूहिक विशेषाधिकार निम्नलिखित है –

  1. यह अपरिचितों को इसकी कार्यवाहियों से अपवर्जित कर सकती है और कुछ महत्वपूर्ण मामलों में गुप्त बैठक कर सकती है |
  2. इसे सदस्य के पकड़े जाने, गिरफ्तार होने, दोषी सिद्ध, कारावास और छोड़े जाने से संबंध में तत्काल सूचना प्राप्त करने का अधिकार है |
  3. न्यायालय सभा या इसकी समितियों की जांच नहीं कर सकता है |
  4. यह अपने प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों को विनियमित कर सकती है और ऐसे मामलों पर निर्णय ले सकती है |
  5. यह भर्त्सना फटकार या कारावास द्वारा विशेष अधिकारों के उल्लंघन या सभा की अवमानना के लिए सदस्यों सहित बाह्य व्यक्तियों को दंडित कर सकती है |


व्यक्तिगत विशेषाधिकार (Personal privilege)

व्यक्तिगत विशेषाधिकार निम्नलिखित हैं –

  1. राज्य विधानमंडल में उन्हें बोलने की स्वतंत्रता है सदस्य द्वारा किसी कार्यवाही या समिति में दिए गए विचार या मत को किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है यह स्वतंत्रता संविधान के उपबंधों और राज्य विधानमंडल की प्रक्रिया विनियमन करने के लिए नियमों और स्थाई आदेशों के अनुरूप है |
  2. सदस्यों को सदन चलने के लिए 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है यह छूट केवल सिविल मामलों में है और अपराधिक या प्रतिबंधित निषेध मामलों में नहीं है |
  3. वे न्यायायिक सेवाओं से मुक्त होते हैं| जब सदन चल रहा हो तो साक्ष्य देने या किसी मामलों में बतौर गवाह उपस्थित होने से इनकार कर सकते हैं |