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राष्ट्रपति
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राज्यपाल
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1. |
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित को अनुमति न देने की घोषणा कर सकता है ऐसी स्थिति में वह विधेयक अधिनियम नहीं बन सकता | |
राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक पर अपनी अनुमति देने से इंकार कर सकता है इस स्थिति में वह विधेयक अधिनियम नहीं बनेगा | |
2 . |
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक को अनुमति प्रदान कर सकता है | |
राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को अनुमति प्रदान कर सकता है | |
3. |
धन विधेयक को छोड़कर अन्य पारित विधेयकों को संसद के दोनों सदनों को संदेश के साथ पुनर्विचार के लिए वापस लौटा सकता है लेकिन यदि उस विधेयक को पुनः दोनों सदन पारित कर के राष्ट्रपति अनुमति के लिए भेजते हैं तो राष्ट्रपति को उस पर अनुमति देना अनिवार्य होता है | |
धन विधेयक को छोड़कर अन्य विधेयक को राज्यपाल विधान मंडल को संदेश के साथ पुनर्विचार के लिए वापस लौटा सकता है यदि विधान मंडल उस विधेयक को पुनः पारित कर देता है तो राज्यपाल को उस पर अनुमति देना अनिवार्य है | |
4. |
राज्यपाल द्वारा आरक्षित विधेयक पर राष्ट्रपति
- यदि वह धन विधेयक है तो राष्ट्रपति उस पर अनुमति दे भी सकता है या अनुमति नहीं भी दे सकता है |
- यदि वह धन विधेयक नहीं है तो वह विधेयक को राज्य विधानमंडल को पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है यदि वह विधेयक पुनः राज्य विधान मंडल द्वारा पारित करके राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तो राष्ट्रपति द्वारा अनुमति देना अनिवार्य नहीं है वह उस पर अनुमति दे भी सकता है और अनुमति देने से मना भी कर सकता है |
- संविधान में कोई निश्चित अवधि नहीं बताई गई है जिसके भीतर अनुमति देने या न देने की घोषणा आवश्यक है राष्ट्रपति किसी विधेयक को लंबित रख सकता है |
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राज्यपाल राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को वापस ना लौटा कर या अनुमति न देकर उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करके रख सकता है राज्यपाल का स्वविवेक का अधिकार है जब किसी विधेयक को राज्यपाल राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर लेता है तो राज्यपाल के उस विधेयक पर सभी अधिकार समाप्त हो जाते हैं तथा उस पर राष्ट्रपति का अधिकार हो जाता है | |
5. |
राष्ट्रपति को संविधान में मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना कार्य करना मना है | |
अनुच्छेद 163 में स्पष्ट रुप से वर्णन है कि कुछ क्षेत्र क्षेत्र में राज्यपाल को अपने विवेक अनुसार कार्य करना है और इस पर उसका निर्णय अंतिम होगा | |
6. |
राष्ट्रपति किसी राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को अपने स्वयं के विचार द्वारा आरक्षित नहीं कर सकता | |
राज्यपाल राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर सकता है | (अनुच्छेद 200) |
7. |
राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका शक्ति किसी भी परिस्थिति में अपने हाथ में नहीं ले सकता | |
अनुच्छेद 356 के तहत राज्य की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित हो जाती है किंतु वास्तव में शक्तियों का प्रयोग राज्यपाल द्वारा किया जाता है, इस प्रकार राज्यपाल मंत्रिपरिषद के बिना कार्य करता है | |
8. |
संविधान में कोई भी ऐसा उपबंध नहीं है जो राष्ट्रपति को व्यक्तिगत निर्णय लेकर कार्य करने की अनुमति दें | |
राज्यपाल को अनुच्छेद 371, 371(A) के अधीन कुछ राज्यों में विशेष उत्तरदायित्व सौंपे गए हैं जिन्हें वह विवेकानुसार निभाता है | राज्यपाल के इस व्यक्तिगत निर्णय को रख न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है | |
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