1.परम ताप (Absolute Zero)- परम ताप न्यूनतम सम्भव ताप है तथा इसके नीचे कोई ताप संभव नहीं है। इस ताप पर गैसों के अणुओं की गति शून्य हो जाती है। इसका मान-273°C होता है। इसे केल्विन में व्यक्त करते हैं।
2.त्वरण (Acceleration)- किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते है। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 ‘ होता है तथा यह एक सदिश राशि है I
3.कण–त्वरक (Particle- aceelerator)-त्वरक (aceelerator) ऐसी मशीन है, जिसके द्वारा आवेशित कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ाई जाती है। इसमें आवेशित कणों को चुम्बकीय क्षेत्र में से गुजारा जाता है।
4.ध्वनिकी (Acoustics)- भौतिकी की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत ध्वनि तरंगों के प्रयोग व उनके गुणों का अध्ययन किया जाता है।
5.अल्फा–कण (Alfa-particles)- अल्फा कण मुख्यतः हीलियम-नाभिक होते हैं। इनकी संरचना दो प्रोटानों व दो न्यूट्रानों के द्वारा होती है। रेडियो ऐक्टिवता में ये कण नाभिक से उत्सर्जित होते हैं। इन पर धनावेश होता है व ये गैसों का आयनीकरण करते हैं।
6.प्रत्यावर्ती धारा (Alternating current)- प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा लगातार बदलती रहती है। घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्ज होती है।
7. अमीटर (Ammeter)- अमीटर एक ऐसा यन्त्र है, जिसकी सहायता से विद्युत धारा को मापा जाता है।
8.एम्पियर (Ampere)- एम्पियर विद्युत धारा को मापने की इकाई है।
9.परमाणु संख्या (Atomic number)- परमाणु संख्या किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों की संख्या को व्यक्त करती है। इसे प्रायः Z से प्रदर्शित करते हैं।
10.आर्किमिडीज का सिद्धान्त (Archimedes principle)- इस सिद्धान्त के अनुसार किसी वस्तु को द्रव में डुबोने पर उसके भार में कमी, उसके द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होती है। इस सिद्धान्त को यूनान के महान वैज्ञानिक आर्किमीडीज ने प्रतिपादित किया था। ।
11. अवोगाद्रो परिकल्पना (Avogadro’s hypothesis)- इस परिकल्पना केअनुसार समान ताप पर गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।
12.बार (Bar)- बार दाब मापने की इकाई है। एक बार 105 पास्कल के बराबरहोता है।
13.बैरोमीटर (Barometer)- इस यंत्र के द्वारा वायुमण्डलीय दाब को मापा जाता है।
14.बीटा–कण (Beta-particles)- बीटा-कण ऋणावेशित होते हैं, जो कि रेडियो एक्टिवता के दौरान परमाणु के नाभिक से उत्सर्जित होते हैं।
15.कृष्णिका (Black body)- जो वस्तु अपने ऊपर गिरने वाले सभी प्रकार के विकरण को अवशोषित कर लेती है, कृष्णिका कहलाती है।
16.बेकरल किरण (Becqueral rays)- यूरेनियम यौगिकों से उत्सर्जित होने वाली,अल्फा, बीटा व गामा किरणें, ‘बेकरल किरणें’ कहलाती हैं।
17.बीटाट्रॉन (Betatron)-बीटाट्रॉन एक त्वरक मशीन होती है, जिसके द्वारा इलेक्ट्रॉनों को अत्यधिक वेग पर त्वरित किया जाता है।
18.क्वथनांक (Bolling point)- क्वथनांक किसी द्रव का वह ताप है जिस पर द्रव का संतृप्त वाष्प दाब, बाह्य दाब के बराबर हो जाता है। इस ताप पर द्रव उबलने लगता है।
19. ब्राउनियन–गति (Brownian motion)- पदार्थ के अणुओं की अनियमित गति (random-motion) को ब्राउनियन गति कहते हैं जैसे -धुयें के कणों, आदि की गति ब्राउनियन गत होती है।
20.अभिकेन्द्रीय बल (Centripetal force)- किसी वृत्ताकार पथ पर घुमती हुई वस्तु पर वृत्त के केन्द्र की ओर लगने वाले बल को अभिकेन्द्रीय बल कहते हैं इस बल के अभाव में वस्तु वृत्ताकार पथ पर नहीं घूम सकती।
21.अपकेन्द्रीय बल (Centrifugal force)- वृत्ताकार मार्ग में घूमती हुई वस्तु पर केन्द्र के बाहर की ओर लगने वाले बल को अपकेन्द्रीय बल एक छद्म बल (pseudo force) कहते है।
22.केशिकात्व (Capillanity)- पृष्ठ-तनाव (Surface tension) के कारण किसी बारीक नली में द्रव के ऊपर चढ़ने या नीचे उतरने को केशिकात्व कहते हैं।
23.कैन्डिला (Candela)-कैन्डिला ज्योति-तीव्रता (luminous-intensity) का मात्रक है।
24.कैलोरीमीटर (Calsius-scale)- इस पैमाने पर ताप को सेन्टीग्रेड में मापा जाता है। इस पर बर्फ का गलनांक 0 डिग्री सेन्टीग्रेड व पानी का क्वथनांक 100°C होता है।
25.संधारित्र (Capacitor)- संधारित्र एक ऐसा समायोजन होता है, जिस पर आवेश की मात्रा संचित की जा सकती है।
26. सेल्सियस पैमाना (Celsius-scale)- इस पैमाने पर ताप को सेन्टीग्रेड में मापा जाता है। इस पर बर्फ का गलनांक 0°C व पानी का क्वथनांक 100° C होता है।
27.चालक (Conductor)- चालक वे पदार्थ हैं जिनसे होकर विद्युत धारा सरलता से प्रवाहित होती है।
28.द्रव्यमान–ऊर्जा का संरक्षण (Conservation of mass and energy)-ब्रह्माण्ड में द्रव्यमान व ऊर्जा का कुल परिमाण संरक्षित रहता है। अर्थात् द्रव्यमान व ऊर्जा का कुल परिमाण निश्चित रहता है। इसी को द्रव्यमान ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धान्त कहते हैं। वैज्ञानिक आइन्सटीन के अनुसार यदि M द्रव्यमान की क्षति हो जाय तो उसके संगत MC2 के बराबर ऊर्जा उत्पन्न होती है। जहां C प्रकाश का वेग है।
29.संवेग–संरक्षण (Conservation of momentum)- यदि किसी निकाय पर कोई बाह्य बल कार्य न कर रहा हो तो, निकाय का कुल संवेग नियत रहता।
30.क्रायोजेनिक्स (Cryogenics)- यह भौतिकी की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत अत्यन्त निम्न तापों का उत्पादन किया जाता है व उनके गुणों का अध्ययन करते हैं। न्यून तापमानों (क्रायोजेनिक्स) का अनुप्रयोग चुम्बकीय प्रोत्थापन, अन्तरिक्ष यात्रा तथा शल्यकर्म में किया जाता है।
31. क्यूरी (Curie)- क्यूरी रेडियो ऐक्टिव पदार्थ के सक्रियता की इकाई है। यदि किसी रेडयो ऐक्टिव पदार्थ में3.7x1010 विघटन प्रति सेकेण्ड होते तो उस पदार्थ की सक्रियता एक क्यूरी कहलाती है।
32.साइक्लोट्रान (Cyclotron)- साइक्लोट्रान एक कण-त्वरण मशीन है जिसमे आवेशित कण वृत्ताकार पथ में घूमते हैं।
33.विसरण (Diffusion)- दो या दो से अधिक पदार्थो से मिलकर समांग मिश्रण बनाने की क्रिया को विसरण कहते है।
34.डॉप्लर प्रभाव (Doppler’s Effect)- जब किसी ध्वनि श्रोत व श्रोता के बीच सापेक्षिक गति(relative-motion) होती है तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति, स्वाभाविक आवृत्ति से बदली हुई प्रतीत होती है। इसी को डाप्लर-प्रभाव कहते है।
35.दिष्ट धारा (Direct Current)- दिष्ट धारा यह धारा है, जो सदैव एक ही दिशा मे बहती है व जिसका परिमाण नियत रहता है।
36.विवर्तन (Diffraction)- जब प्रकाश या ध्वनि तरंगे किसी अवरोध से टकराती है तो वे अवरोध के किनारों पर मुड़ जाती है। तरंगों के इस प्रकार मुडने की घटना को विवर्तन कहते है।
37. वर्ण–विक्षेपण (Dispersion)-जब प्रिज्म पर से होकर श्वेत प्रकाश गुजारा जाता है तो वह विभिन्न रंगों की अनेक किरणों में विभाजित हो जाता है इस घटना को वर्ण-विक्षेपण कहते है।
38. डायोड (Diode)- डायोड एक ऐसी इलेक्ट्रिानिक युक्ति है जिसमें केवल दो इलेक्ट्रोड कैथोड व प्लेट होते हैं। इसके द्वारा इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन करके धारा प्रवाहित की जाती है।
39. विघटन (Disintegration)-विघटन वह प्रक्रिया है, जिसमें कोई नाभिक स्वतः या कृत्रिम रूप से रेडियो-ऐक्टिव किरणों का उत्सर्जन करता है।
40.प्रत्यास्थता (Elasticity)- प्रत्यास्थता किसी वस्तु के पदार्थ का वह गुण हैं. जिसके कारण वस्तु किसी विरुपक बल (deforming force) के द्वारा हुये परिवर्तन का विरोध करती है व विरुपक बल हटा लेने पर अपनी पूर्व अवस्था को प्राप्त कर लेती है।
41. विद्युत क्षेत्र (Electric field)- किसी आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें किसी अन्य आवेश को लाने पर, उस पर एक बल आरोपित होता है, विद्युत क्षेत्र कहलाता है।
42. विद्युत विभव (Electric potential)- विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विद्युत विभव उस कार्य के बराबर होता है, जो एकांक आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में करना पड़ता है।
43.विद्युत द्विध्रुव (Electric dipole)- विद्युत द्विध्रुव ऐसा निकाय होता है जिसमें दो विपरीत आवेश एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित होते हैं।
44. समविभव पृष्ठ (Equipotential surface)- समविभव पृष्ट एक ऐसा पृष्ठ है, जिसमें स्थित सभी बिन्दु समान विभव पर होते हैं।
45. मूल आवेश (Elementary charge)- प्रकृति में पाये जाने वाले छोटे से छोटे आवेश को मूल-आवेश कहते हैं। मूल आवेश से कम आवेश सम्भव नहीं है। इसका मान 1.6 x 10-19 कूलॉम होता है।
46.इलेक्ट्रान (Electron)- इलेक्ट्रान एक ऋणावेशित मूल कण है, जो परमाणु में नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है।
47. मूल कण (Elementary particles)- भौतिकी में मूल कण वे कण हैं जिन्हें विभाजित नहीं किया जा सकता।
48. वैद्युत –अपघटन (Electrolysis)- जब किसी लवण के जलीय विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो लवण ऋण व धन आयनों में टूट जाता है। इस प्रक्रिया को ही वैद्युत अपघटन कहते हैं।
49. इन्थैल्पी (Enthalpy)- इन्थैल्पी एक ऊष्मागतिक फलन है। यह किसी निकाय की आन्तरिक ऊर्जा व दाब तथा आयतन के गुणनफल के योग के बराबर होती है।
50. वाष्पन (Evaporation)- सामान्य ताप पर किसी द्रव के वाष्प में बदलने की क्रिया को वाष्पन कहते हैं।
51. विद्युत सेल (Electric cell)- विद्युत सेल एक ऐसी युक्ति है जो किसी परिपथ में आवेश के प्रवाह को निरन्तर बनाये रखती है।
52.इलेक्ट्रान वोल्ट (Electron Volt)-इलेक्ट्रान वोल्ट ऊर्जा नापने का मात्रक है। एक इलेक्ट्रान वोल्ट में 1.6 x 10-19 जूल ऊर्जा होती है।
53.विखण्डन (Fission)- वह प्रक्रिया, जिसमें एक भारी नाभिक दो लगभग बराबर नाभिकों में टूट जाता है, विखण्डन कहलाती है।
54.अवपात (Fallout)- नाभिकीय विस्फोट के पश्चात रेडियोऐक्टिव पदार्थों के पृथ्वी पर गिरने की घटना को अवपात कहते है।
55.फारेनहाइट पैमाना (Fahrenheit scale)- यह ताप का वह पमाना है जिस पर बर्फ का गलनांक 32°F व पानी का क्वथनांक 212°F होता है। इस पैमाने पर ताप को फारेनहाइट से प्रदर्शित करते है।
56.बल (Force)-बल वह क्रिया है, जो किसी वस्तु को स्थिर अथवा एक समान गति की स्थिति में परिवर्तन करने की प्रवृत्ति रखती है।
57.संलयन (Fusion)- जब दो हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते है तो इस प्रक्रिया को संलयन कहते है।
58.फाइबर–आपटिक्स (Fibre-optics)- इस प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रकाश के कांच की अत्यन्त बारीक व लचीली छड़ों द्वारा संचरण व इसके अन्तर्गत गुणों का अध्ययन करते हैं।
59.आवृत्ति (Frequency)- कोई दोलन करती हुई वस्तु एक सेकेण्ड में जितने दोलन पूरे करती है; उसे उस वस्तु की आवृत्ति कहते हैं।
60. प्रतिदीप्ति (Fluorescence)-प्रकृति में कुछ पदार्थ ऐसे पाये जाते हैं कि जब उन पर ऊंची आवृत्ति का प्रकाश डाला जाता है तो वे उसे अवशोषित कर लेते है व निचली आवृत्ति के प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं। उत्सर्जन की यह घटना तभी तक होती है, जब तक उन पर प्रकाश डाला जाता है। इस घटना को प्रतिदीप्ति कहते हैं।