गोबी रेगिस्तान

  • गोबी मध्य एशिया का एक रेगिस्तानी क्षेत्र है। गोबी एक मंगोलियाई शब्द है जिसका अर्थ ‘पानी रहित स्थान’ होता है।
  • यह मंगोलिया और चीन दोनों के विशाल भागों में फैला है।
  • गोबी रेगिस्तान उत्तर में अल्ताई पर्वत और मंगोलिया के घास के मैदान और दक्षिण-पश्चिम में तिब्बती पठार और दक्षिण-पूर्व में उत्तर चीन के मैदान से घिरा है।
  • यह विश्व के सबसे बड़े मरुस्थल में से एक है। 
  • यह संसार का पांचवां बड़ा और एशिया का सबसे विशाल रेगिस्तान है।
  • गोबी रेगिस्तान कुल 1, 623 वर्ग किलोमीटर में फैला है। 
  • गोबी दुनिया के ठंडे रेगिस्तानों में से एक है, जहां तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे तक चला जाता है।
  • गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। 
  • सहारा रेगिस्तान की भांति ही इस रेगिस्तान को भी तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- 1. ताकला माकन रेगिस्तान 2. अलशान रेगिस्तान 3. मुअस या ओर्डिस रेगिस्तान
  • गोबी रेगिस्तान का अधिकतर भाग रेतीला न होकर चट्टानी है।
  • गोबी रेगिस्तान में वर्षा की औसत मात्रा 50 से 100 मि.मी. है। यहाँ अधिकतर वर्षा गर्मी के मौसम में ही होती है।
  • यहाँ काष्ठीय व सूखा प्रतिरोधी गुणों वाले सैकसोल नामक पौधे बहुतायत में मिलते हैं।
  • गोबी रेगिस्तान ‘बेकिटरियन ऊंट’, जिनके दो कूबड होते हैं, का आवास स्थल माना जाता है।
  • संसार के रेगिस्तान के विशेष भालू इसी रेगिस्तान में पाए जाते हैं। इन भालूओं की प्रजाति ‘मज़ालाई’ अथवा ‘गोबी’ अब लुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी है। 
  • यहाँ जंगली घोड़े, गिलहरी व छोटे कद के बारहसिंगे भी पाये जात हैं।
  • यहाँ पर कभी-कभी बर्फ़ के तूफ़ान तथा उष्ण बालू मिश्रित तूफ़ान भी आते हैं। 
  • वनस्पतियों में घास तथा काँटेदार झाड़ियाँ मुख्य रूप से पाई जाती हैं। 
  • मंगोल यहाँ की मुख्य जाति है। 
  • 7वीं शताब्दी में सुप्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग इसी गोबी मरूस्थल के रास्ते से ही भारत में आया और फिर चीन वापस गया।
  • गोबी के मरुस्थल से उठते धूल के गुबार(‘येलो ड्रैगन’ ) से परेशान चीन ने राजधानी बीजिंग के बाहरी इलाकों से मंगोलिया के भीतर तक वृक्षारोपण के जरिये पेड़ों की दीवार बनाई है।
  • गोबी मरुस्थल अतीत में महान मंगोल साम्राज्य का हिस्सा रहा है और सिल्क रोड से जुड़े कई महत्वपूर्ण शहरों का क्षेत्र रहा है। 

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