प्रायद्वीपीय नदियाँ
- भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं।
- भारत में मुख्य जल विभाजक का निर्माण पश्चिमी घाट द्वारा होता है, जो दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय श्रृंखला उत्तर से दक्षिण की ओर 1600 किलोमीटर लम्बी है।
- प्रायद्वीपीय भाग की अधिकतर मुख्य नदियाँ जैसे – महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी पूर्व की ओर बहती हैं तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। ये नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं।
- पश्चिमी घाट से पश्चिम में बहने वाली अनेक छोटी धाराएँ हैं।
- नर्मदा एवं ताप्ती , दो ही बड़ी नदियाँ हैं जो कि पश्चिम की तरफ बहती हैं और ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं।
- प्रायद्वीपीय नदियों की अपवाह द्रोणियाँ आकार में अपेक्षाकृत छोटी हैं।
प्रायद्वीपीय नदी द्रोणियाँ
1.नर्मदा द्रोणी
- नर्मदा का उद्गम मध्य प्रदेश में अमरकंटक पहाड़ी के निकट है।
- यह पश्चिम की ओर एक भ्रंश घाटी में बहती है।
- समुद्र तक पहुँचने के क्रम में यह नदी बहुत से दर्शनीय स्थलों का निर्माण करती है।
- जबलपुर के निकट संगमरमर के शैलों में यह नदी गहरे गार्ज से बहती है तथा जहाँ यह नदी तीव्र ढाल से गिरती है, वहाँ ‘धुंआधार प्रपात’ का निर्माण करती है।
- नर्मदा की सभी सहायक नदियाँ बहुत छोटी हैं, इनमें से अधिकतर समकोण पर मुख्य धारा से मिलती हैं।
- नर्मदा द्रोणी मध्य प्रदेश तथा गुजरात के कुछ भागों में विस्तृत है।
2.ताप्ती द्रोणी
- ताप्ती का उद्गम मध्य प्रदेश के बेतुल जिले में सतपुड़ा की श्रृंखलाओं में है।
- यह भी नर्मदा के समानांतर एक भ्रंश घाटी में बहती है, लेकिन इसकी लंबाई बहुत कम है। इसकी द्रोणी मध्यप्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र राज्य में है।
- अरब सागर तथा पश्चिमी घाट के बीच का तटीय मैदान बहुत अधिक संकीर्ण है। इसलिए तटीय नदियों की लंबाई बहुत कम है।
- पश्चिम की ओर बहने वाली मुख्य नदियाँ साबरमती, माही, भारत-पुजा तथा पेरियार हैं।
3.गोदावरी द्रोणी
- गोदावरी सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी है।
- यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में पश्चिम घाट की ढालों से निकलती है। इसकी लंबाई लगभग 1,500 कि०मी है।
- यह बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- प्रायद्वीपीय नदियों में इसका अपवाह तंत्र सबसे बड़ा है।
- इसकी द्रोणी महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा आंध्र प्रदेश में स्थित है।
- गोदावरी में अनेक सहायक नदियाँ मिलती हैं, जैसे – पूर्णा, वर्धा, प्रान्हिता, मांजरा, वेनगंगा तथा पेनगंगा।
- बड़े आकार और विस्तार के कारण इसे ‘दक्षिण गंगा’ के नाम से भी जाना जाता है।
4.महानदी द्रोणी
- महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ की उच्चभूमि से है तथा यह उड़ीसा से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इस नदी की लंबाई 860 कि॰मी॰ है।
- इसकी अपवाह द्रोणी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड तथा उड़ीसा में है।
5.कृष्णा द्रोणी
- महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में महाबालेश्वर के निकट एक स्रोत से निकलती है।
- कृष्णा नदी लगभग 1,400 कि०मी० बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मुसी तथा भीमा इसकी कुछ सहायक नदियाँ हैं।
- इसकी द्रोणी महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में फैली है।
6.कावेरी द्रोणी
- कावेरी पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी श्रृंखला से निकलती है तथा तमिलनाडु में कुडलूर के दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
- इसकी लंबाई 760 कि॰मी॰ है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं – अमरावती, भवानी, हेमावती तथा काबिनि।
- इसकी द्रोणी तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक में विस्तृत है।
- भारत में दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात कावेरी नदी बनाती है। इसे शिवसमुंदरम् के नाम से जाना जाता है।
- प्रपात द्वारा उत्पादित विद्युत मैसूर, बंगलोर तथा कोलार स्वर्ण-क्षेत्र को प्रदान की जाती है।