औषधीय पादप

  • प्राचीन समय से भारत अपने मसालों तथा जड़ी-बूटियों के लिए विख्यात रहा है।
  • आयुर्वेद में लगभग 2,000 पादपों का वर्णन है और कम से कम 500 तो निरंतर प्रयोग में आते रहे हैं।
  • ‘विश्व संरक्षण संघ’ ने लाल सूची के अंतर्गत 352 पादपों की गणना की जिसमें से 52 पादप अति संकटग्रस्त हैं और 49 पादपों को विनष्ट होने का खतरा है।
  • ऐसे पौधे जिनके किसी भी भाग से दवाएँ बनाई जाती हैं औषधीय पौधे कहलाते हैं। सर्पगंधा, तुलसी, नीम आदि इसी प्रकार के पौधे हैं।

भारत में प्राय: औषधि के लिए प्रयोग होने वाले कुछ निम्नलिखित पादप हैं-

  • सर्पगंधा-यह रक्तचाप के निदान के लिए प्रयोग होता है और केवल भारत में ही पाया जाता है।
  • जामुन-पके हुए फल से सिरका बनाया जाता है जो कि वायुसारी और मूत्रवर्धक है और इसमें पाचन शक्ति के भी गुण हैं। बीज का बनाया हुआ पाउडर मधुमेह (Diabetes) रोग में सहायता करता है।
  • अर्जुन- ताजे पत्तों का निकाला हुआ रस कान के दर्द के इलाज में सहायता करता है। यह रक्तचाप की नियमिता के लिए भी लाभदायक है।
  • बबूल- इसके पत्ते आँख की फुसी के लिए लाभदायक हैं। इससे प्राप्त गोंद का प्रयोग शारीरिक शक्ति की वृद्धि के लिए होता है।
  • नीम-जैव और जीवाणु प्रतिरोधक है।
  • तुलसी पादप –जुकाम और खाँसी की दवा में इसका प्रयोग होता है।
  • कचनार- फोड़ा (अल्सर) व दमा रोगों के लिए प्रयोग होता है। इस पौधे की जड़ और कली पाचन शक्ति में सहायता करती है।
  • भारत सरकार द्वारा नवंबर 2000 में राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) की स्थापना की गई है जिसका प्राथमिक कार्य औषधीय पौधों, समर्थन नीतियों और व्यापार, निर्यात, संरक्षण और खेती के विकास से संबंधित सभी कार्यक्रमों का समन्वयन करना है। 
  • राष्ट्रीय औषधीय पादप मिशन के अन्तर्गत कृषि जलवायुवीय परिस्थितियों के अनुसार चयनित औषधीय फसलों के बगीचों की स्थापना के लिए अनुदान/सहायता उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। इसके लिये परियोजना प्रस्तावों की स्वीकृति ‘पहले आओ- पहले पाओ’ के आधार पर की जाती है एवं कृषि समूह के परियोजना प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (सीसीआरएएस), आयुष मंत्रालय, (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, एवं होम्योपैथी) भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्तशासी निकाय है। यह भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में वैज्ञानिक विधि से शोध कार्य प्रतिपादित करने, उसमें समन्वय स्थापित करने, उसका विकास करने एवं उसे समुन्नत करने हेतु एक शीर्ष राष्ट्रीय निकाय है।



Categorized in: