प्रोसीजर फार्मिंग (सूक्ष्म कृषि)

जल फार्मिंग एक संबंधित कृषि प्रबंधन प्रणाली है इसके अंतर्गत उन महत्वपूर्ण कारकों को पहचाना जाता है जिसमें नियंत्रण योग्य कारकों के फलस्वरुप उत्पादन तथा उत्पादकता में कमी आती है तथा उन्हें दूर करने की प्रबंधकीय व्यवस्था की जाती है

इसके अंतर्गत किसी खेत के भीतर फसल के संबंध में तथा मिट्टी के संबंध में होने वाली विभिन्नताओं को चिन्हित किया जाता है उनकी मैपिंग की जाती है और तब तदानुसार प्रबंध की व्यवस्था की जाती है इन के संबंध में होने वाली विभिन्नता का स्थाई आकलन किया जाता है उसमें प्रतिजन फार्मिंग का लक्ष्य किसी खेती क्षेत्र के छोटे भाग में खेती में प्रयुक्त आगत के उच्चतम प्रयोग से उत्पादन को अधिकतम करने के उद्देश्य से मिट्टी तथा फसल की दशाओं की विभिन्नताओं संबंधी सूचना को इकट्ठा करना है तथा विश्लेषण करना है

कल की स्वास्थ्य ताकि मॉनिटरिंग विजातीय घाटों की पहचान करना तथा उनका प्रबंधन कीटों की पहचान प्लांटों के पोषणीय तत्व की पहचान उत्पादन प्रक्षेपण अनेक वैज्ञानिक विधियों से की जाती है प्रेसिडेंट फार्मिंग के परिणाम आशा से अधिक संतोषजनक रहे हैं भारत में इस तकनीकी का प्रयोग तमिलनाडु सरकार सब्जियों के उत्पादन के संबंध में कर रही है इसके अंतर्गत फर्टीगेशन सिंचाई सामुदायिक विकास प्लांट संरक्षण आदि का प्रयोग किया जा रहा है तथा वहां बहुत अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ है वह भी का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 7:00 20% की वृद्धि टमाटर का उत्पादन 65 टन प्रति हेक्टेयर 3% की वृद्धि तथा मिर्च का उत्पादन 5% की वृद्धि दर हुआ है

स्वयं सहायता समूह द्वारा सामूहिक खेती

माइक्रो क्रेडिट की तर्ज पर छोटे तथा सीमांत कृषकों से बने हुए स्वयं सहायता समूह द्वारा खेती की व्यवस्था करना स्वयं सहायता समूह सामूहिक खेती कहलाता है इसके अंतर्गत उत्पादन बिंदु पर सेल्फ हेल्प ग्रुप कृषि उत्पादक संगठन का निर्माण करते हैं तथा फार्मिंग क्रियाएं करते हैं स्पष्ट है कि इस स्थिति में बड़े पैमाने की कृषि के लाभ तथा ऋण सुविधा प्राप्त हो सकेगी जो छोटे किसानों को प्राप्त नहीं होती है इस प्रकार के प्रणाली हरित कृषि के संबंध में अधिक उपयोगी तथा प्रभावपूर्ण होगी

प्रसंविदा कृषि

प्रशिक्षकों द्वारा किसी समझौते के तहत कृषि करना जो दोनों ही उत्पादक कृषक तथा उत्पाद के क्रेता को लाभ पहुंचाएं प्रसंविदा कृषि कहलाता है समझौते की शर्तों के अनुसार इसके अनेक मॉडल हो सकते हैं पर सामान्यतः यह देखा जाता है कि प्रसंविदा का एक पक्षी तो किसान तथा दूसरा पक्ष कंपनी या संस्था होती है जो कृषि उत्पाद को एक निश्चित मूल्य बाजार निर्धारित मूल्य पर खरीदने का समझौता करती है तथा कृषक को उत्तम कोटि के बीज उर्वरक हिरण आदि की पूर्ति करती है इस प्रकार इस स्थिति में कृषक अपने लिए नहीं अपनी इच्छा से भी नहीं बल्कि प्रसंविदा की दूसरी पार्टी के निर्देश पर उत्पादन करता है इस स्थिति में किसानों को विशेष विशेष रूप से छोटे तथा सीमांत किसानों को वह सभी सुविधाएं मिट जाती हैं जो उन्हें व्यक्तिगत स्थिति में नहीं प्राप्त हो पाती इसके अंतर्गत कृषक को अच्छी गुणवत्ता का आगाज आवश्यकता पड़ने पर तथा उत्पाद के लिए सही मूल्य सही समय पर बिना किसी कठिनाई के मिल जाता है

बीटी कपास की खेती

जीन परिवर्तित कृषि के लिए कपास के बीजों की आपूर्ति बहुराष्ट्रीय कंपनी माहीको मोसेंट बायोटेक में कि इसमें कम कीटनाशक का प्रयोग तथा उत्पादकता अधिक होती है

अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आई एफ ए डी)

संयुक्त राष्ट्र की 13वी विशेषीकृत एजेंसी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष की स्थापना 1977 में की गई थी 165 देश i f a d के सदस्य हैं और उन्हें तीन सूचियों में विभाजित किया गया है

  1. विकसित देश
  2. तेल उत्पादक देश 
  3. विकासशील देश

भारत सूची “ग” में शामिल है

  • चुना हुआ अध्यक्ष i f a d का प्रमुख होता है और उसकी एक गवर्निंग काउंसलिंग और एक कार्यकारी बोर्ड होता है |
  • भारत अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष के वह सदस्य में से एक है |



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