न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है और यह किसानों की उत्पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना अधिक होती है।
  • ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ किसी भी फसल के लिये वह ‘न्यूनतम मूल्य’ है, जिसे सरकार किसानों के लिये लाभकारी मानती है और इसलिये इसके माध्यम से किसानों का ‘समर्थन’ करती है।
  • किसी फसल की MSP इसलिए तय की जाती है ताकि किसानों को किसी भी हालत में उनकी फसल का एक उच‍ित न्यूनतम मूल्य मिलता रहे।

MSP के तहत फसलें

  • ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ द्वारा सरकार को 22 अधिदिष्ट फसलों के लिये ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) तथा गन्ने के लिये ‘उचित और लाभकारी मूल्य’ (FRP) की सिफारिश की जाती है।
  • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
  • अधिदिष्ट फसलों में 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।
  • धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट आदि की फसलों के दाम सरकार तय करती है।

कैसे होती है किसानों से खरीद

  • हर साल बुआई से पहले फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो जाता है।
  • हर खरीफ और रबी सीजन के लिए एमएसपी तय होता है।
  • बहुत से किसान तो एमएसपी देखकर ही फसल बुआई करते हैं।
  • एमएसपी पर सरकार विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से किसानों से अनाज खरीदती है।
  • MSP पर खरीदकर सरकार अनाजों का बफर स्टॉक बनाती है।
  • सरकारी खरीद के बाद FCI और नैफेड के पास यह अनाज जमा होता है. इस अनाज का इस्तेमाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए होता है।
  • अगर बाजार में किसी अनाज में तेजी आती है तो सरकार अपने बफर स्टॉक में से अनाज खुले बाजार में निकालकर कीमतों को काबू करती है।

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