भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान

  • भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में अवस्थित है।
  • भितरकनिका ब्राह्मणी, बैतरणी, धामरा और महानदी नदी प्रणालियों के मुहाने में स्थित एक समृद्ध व जीवंत इको-प्रणाली है।
  • इसमें भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है और यह रामसर स्थल है।
  • इसे वर्ष 1988 में भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया था।
  • यहाँ सफेद मगरमच्छ काफी अधिक संख्या में पाये जाते हैं। इसलिए इस राष्ट्रीय उद्यान को सफेद मगरमच्छ पार्क भी कहा जाता है।
  • यह दुनिया का सबसे बड़ा सफेद मगरमच्छ पार्क है।
  • यह ओडिशा के बेहतरीन जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में से एक है और अपने मैंग्रोव, प्रवासी पक्षियों, कछुओं, मुहाना के मगरमच्छों तथा अनगिनत खाड़ियों के लिये प्रसिद्ध है।
  • ऐसा कहा जाता है कि यहाँ देश के मुहाना या खारे जल के मगरमच्छों का 70% हिस्सा रहता है, जिसका संरक्षण वर्ष 1975 में शुरू किया गया था।

संरक्षित क्षेत्र

  • भितरकनिका का प्रतिनिधित्व 3 संरक्षित क्षेत्रों द्वारा किया जाता है जो इस प्रकार हैं:
  • 1.भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान।
  • 2.भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य।
  • 3.गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य।

सफेद या एश्चुअरी मगरमच्छ

  • भारत में मगरमच्छ की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं- मगर या दलदली(मार्श) मगरमच्छ, खारे पानी का मगरमच्छ(एश्चुअरी मगरमच्छ ) और घड़ियाल
  • एश्चुअरी मगरमच्छ को ही सफ़ेद मगरमच्छ भी कहा जाता है।
  • एश्चुअरी मगरमच्छ, खारे पानी के मगरमच्छ हैं। भारत में ये सबसे अधिक भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में पाये जाते हैं।
  • भितरकनिका के अलावा, एश्चुअरी मगरमच्छ पश्चिम बंगाल के सुंदरवन क्षेत्र तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में भी बहुतायत में पाये जाते हैं।
  • एश्चुअरी मगरमच्छ को आईयूसीएन की ‘कम चिंतनीय’ सूची में शामिल किया गया है।
  • गौरतलब है कि घड़ियाल व एश्चुअरी मगरमच्छ दोनों के संरक्षण कार्यक्रम को पहली बार 1975 में ओडिशा में ही लागू किया गया था।

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