चांद पृथ्वी के नजदीकी आकाशीय श्रेणी में सबसे करीबी ग्रह है, और हमारे चांद के सतह पर विभिन्न प्रकार के गड्ढे दिखाई देते हैं।तो चलिए इन गड्ढों की उत्पत्ति और कारणों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

चांद का अद्भुत स्वरूप

चांद, हमारे नजदीकी आकाश में दिखने वाला ग्रह है, जिसे पूर्णिमा की रात को सबसे चमकदार रूप में देखा जा सकता है। यह हमारे समृद्धि और गहन वैज्ञानिक अध्ययन का विषय रहा है, लेकिन इसकी तथ्य और रहस्यों का पर्दाफाश करना हमारे लिए अभी भी चुनौतीपूर्ण है।

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चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं?

दरअसल, अंतरिक्ष से आने वाले पत्थर सिर्फ चांद और पृथ्वी दोनों पर गिरते रहते हैं। इनके गिरने से ये गड्ढे बनते हैं। यह भी इम्पैक्ट क्रेटर भी कहा जाता है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चांद पर लगभग 14 लाख से अधिक गड्ढे हैं। जिसमें 9137 की पहचान हुई है। चांद की सतह पर गड्ढे सिर्फ इम्पैक्ट क्रेटर नहीं है। कुछ गड्ढे ज्वालामुखी विस्फोट से भी बन गए हैं।17 मार्च 2013 को NASA ने चंद्रमा पर सबसे बड़ा गड्ढा देखा। 40 किलो पत्थर से यह  गड्ढा बना था। जो करीब 90 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराया था । टेलिस्कोप की मदद से हम जमीन से भी इन बड़े गड्ढे को देख सकते हैं।चांद की सतह पर गड्ढे, जिन्हें क्रेटर्स कहा जाता है, विभिन्न कारणों से बनते हैं:

  1. उच्च गति वाले आघात (High-Velocity Impacts): एक प्रमुख कारण जो क्रेटर्स की उत्पत्ति को समझने में मदद करता है, वह है उच्च गति वाले आघात होते हैं। जब बड़े आकार के उपग्रह, जैसे कि छायाग्रासी ग्रह, सूर्य से निकट आकर चांद पर गिरते हैं, तो इस प्रकार के आघात से क्रेटर्स बनते हैं।
  2. रॉकी सतह (Rocky Surface): चांद की सतह पर गड्ढे उत्पन्न होते हैं क्योंकि इसकी सतह गंदगोल होती है और पत्थरों से भरी होती है। जब कोई ग्रह चांद की सतह पर टकराता है, तो पत्थरों का एक बड़ा टुकड़ा निकलकर उड़ता है, जिससे क्रेटर्स बनते हैं।
  3. अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण (High Gravity): चांद पर गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक होता है, और यह किसी भी ग्रह पर गिरने वाले आघात को अधिक प्रभावी बनाता है। ग्रह की आकृति पर इसका भी बड़ा प्रभाव पड़ता है, और इसकी वजह से गड्ढे के विचार में विविधता होती है।
  4. शून्य अवकाश और कीमती गैस (Vacuum and Volatile Gases): चांद पर वैक्यूम होता है, जिससे ग्रह पर किसी भी प्रकार का जीवन नहीं हो सकता। यह अवकाश क्रेटर्स के बनने में मदद करता है क्योंकि क्रेटर्स की बनावट को किसी प्रकार की जीवित जीवन की खतरा नहीं होती है।

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चांद के कुछ प्रमुख क्रेटर्स:

  1. कोपरनिकस (Copernicus): यह एक प्रमुख क्रेटर है और इसका व्यास लगभग 93 किलोमीटर है। यह पृथ्वी से दृष्टिगत है।
  2. ट्यूकालेस (Tycho): यह भी एक महत्वपूर्ण क्रेटर है और इसका व्यास लगभग 85 किलोमीटर है। यह क्रेटर चांद की सतह पर सबसे बड़ा गड्ढा माना जाता है।
  3. कॉपर्निकस (Kopernicus): यह क्रेटर चांद की पूर्णिमा की रात को आसानी से दिखाई देता है और इसका व्यास लगभग 93 किलोमीटर है।
  4. प्लेटो (Plato): यह चांद का एक और प्रमुख क्रेटर है, और इसका व्यास लगभग 101 किलोमीटर है। इसका नाम प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक प्लेटो के नाम पर रखा गया है।

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चांद के गड्ढे क्यों नहीं भरते?

दरअसल, चांद पर हवा और पानी नहीं होना इसका कारण है। इसलिए वहां मिट्टी नहीं कटती। इसलिए ये क्रेटर नहीं भरते। यह जैसे है वैसे ही बने रहते हैं। जबकि पृथ्वी पर गड्ढों में आमतौर पर पानी भर जाता है और मिट्टी जम जाती है। यहां तक कि पौधे भी उगते हैं। आपको हैरानी होगी कि चंद्रमा पर अधिकांश गड्ढे 200 साल पुराने हैं।

FAQs (Frequently Asked Questions):

चांद पर क्रेटर्स कितने दिनों में बनते हैं?

चांद पर क्रेटर्स बहुत पुराने होते हैं और वे हजारों सालों तक बनते रह सकते हैं।

क्या क्रेटर्स बनते वक्त तेज गति से गिरते हैं?

हां, क्रेटर्स की उत्पत्ति के समय वे तेज गति से गिरते हैं, जिससे उच्च गति वाले आघात होते हैं।

क्या चांद पर क्रेटर्स कभी बंद हो जाते हैं?

नहीं, चांद पर क्रेटर्स की उत्पत्ति हमेशा चलती रहती है।

क्या चांद पर क्रेटर्स का कोई स्थिर आकार होता है?

नहीं, क्रेटर्स का आकार वर्षों के साथ परिवर्तित हो सकता है, लेकिन वे हमेशा बदलते रहते हैं।

क्या चांद पर क्रेटर्स में जीवन हो सकता है?

नहीं, चांद पर क्रेटर्स में कोई जीवित जीवन नहीं हो सकता क्योंकि वहां की पर्यावरण बहुत अत्यधिक हर्ष होता है और कोई ऑक्सीजन नहीं होती है।

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