भौगोलिक संकेतक

  • भौगोलिक संकेतक या जियोग्राफिकल इंडीकेशन का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
  • इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
  • दूसरे शब्दों में भौगोलिक चिन्ह या संकेत (जीआई) का शाब्दिक अर्थ है एक ऐसा चिन्ह, जो वस्तुओं की पहचान, जैसे कृषि उत्पाद, प्राकृतिक वस्तुएं या विनिर्मित वस्तुएं, एक देश के राज्य क्षेत्र में उत्पन्न होने के आधार पर करता है, जहां उक्त वस्तुओं की दी गई गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य कोई विशेषताएं इसके भौगोलिक उद्भव में अनिवार्यतः योगदान देती हैं।

यह दो प्रकार के होते हैं-

  • पहले प्रकार में वे भौगोलिक नाम हैं जो उत्पाद के उद्भव के स्थान का नाम बताते हैं जैसे शैम्पेन, दार्जीलिंग आदि।
  • दूसरे हैं गैर-भौगोलिक पारम्परिक नाम, जो यह बताते हैं कि एक उत्पाद किसी एक क्षेत्र विशेष से संबद्ध है जैसे अल्फांसो, बासमती, रोसोगुल्ला आदि।
  • जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।

जीआई टैग से लाभ

  • जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले उत्पादन को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
  • जीआई टैग के द्वारा उत्पादों के अनधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है।
  • यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाली वस्तुओं का महत्व बढ़ा देता है।
  • जीआई टैग के द्वारा सदियों से चली आ रही परंपरागत ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धन किया जा सकता है।
  • जीआई टैग के द्वारा स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है।
  • इसके द्वारा टूरिज्म और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के मुताबिक निम्न को जीआई टैग दिया जा सकता है

  • कृषि उत्पादों; जैसे चावल, जीरा, हल्दी, नींबू आदि।
  • खाद्यान्न वस्तुओं; जैसे रसगुल्ला, लड्डु, मंदिर के विशिष्ट प्रसाद आदि।
  • वाइन और स्पिरिट पेय; जैसे शैम्पेन और गोआ के एल्कोहलिक पेय पदार्थ फेनी आदि।
  • हस्तशिल्प वस्तुएं (हैंडीक्राफ्ट्स); जैसे मैसूर सिल्क, कांचीवरम सिल्क तथा इसके साथ ही मिट्टी से बनी मूर्तियां (टेराकोटा) और औद्योगिक उत्पाद।

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