Who was the White Death? The story of a lion from World War II

द्वितीय विश्व युद्ध विश्व के इतिहास में एक अद्वितीय और भयानक घटना रही है, जिसमें एक वीर सैनिक ने अपने वीरगति को प्राप्त करते समय अकेले ही 500 रूसी सैनिकों को मार गिराया। इस दुनियाभर में वायरल हुई कहानी का मुख्य पात्र है’वाइट डेथ’

वाइट डेथ कौन थे? (Who was the White Death?)

वाइट डेथ, जिनका असली नाम सिमो हायहा था, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फिनलैंड के सबसे खतरनाक स्नाइपर में से एक थे।सिमो हायहा का जन्म 17 दिसंबर 1905 को हुआ था और वे एक फिनिश सैनिक थे। सिमो ने अपने सैन्य करियर के दौरान अपनी निशानेबाज़ी कौशल के लिए ख्याति प्राप्त की। जब 1939 में सोवियत संघ ने फिनलैंड पर हमला किया तो सिमो को फिर से सेवा में बुला लिया गया।

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वायरल हुई कहानी

द्वितीय विश्व युद्ध के समय, जब वाइट डेथ सैन्य में शामिल हुए, तो उनका एक स्पेशल ट्रेनिंग कोर्स आयोजित किया गया था। इस कोर्स का उद्देश्य था कि सैनिकों को विभिन्न युद्ध कौशलों की प्रशिक्षण दी जाए, ताकि वे युद्धभूमि में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। वाइट डेथ भी इस कोर्स के हिस्से थे और वे तेजी से युद्ध कौशलों में माहिर हो गए।

एक दिन, उन्हें अपने साथी सैनिकों के साथ युद्धभूमि पर भेजा गया, जहाँ उन्हें उनके बहादुरी का सबूत दिखाने का मौका मिला। उनके पास केवल एक बैयोनेट राइफल था, लेकिन उनकी निष्ठा और उनकी आत्मविश्वास ने उन्हें एक अद्वितीय योद्धा बना दिया।

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शूरवीरता का परिचय

शीत युद्ध के दौरान सिमो ने अपनी बेजोड़ निशानेबाज़ी से कम से कम 505 सोवियत सैनिकों को मार गिराया। उनकी इस कामयाबी के कारण उन्हें ‘वाइट डेथ’ उपनाम दिया गया। फिनलैंड के प्रचार अभियानों में वाइट डेथ को एक नायक के रूप में पेश किया गया और उनकी उपलब्धियों को बार-बार दोहराया गया।

बर्फीले मैदानों और घने जंगलों में छिपकर सिमो निशानेबाजी करते थे। वे एकदम शांत रहते थे और घंटो तक एक ही जगह बैठे रहने में सक्षम थे। उनकी तेज नज़रें और धैर्य ने उन्हें सफलता दिलाई। उन्होंने अपने जीवनकाल में केवल एक स्नाइपर राइफल का इस्तेमाल किया जिसे उन्होंने ‘सिलेंटी सू‘ नाम दिया था।

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युद्ध के अंतिम दिनों में सिमो को गोली लगी और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने शिकारी बनने का फैसला किया और 96 साल की उम्र तक जीवित रहे। वाइट डेथ ने अपने देश की रक्षा में जो कुछ भी किया वह उनके पराक्रम और बहादुरी का प्रतीक बन गया। आज भी फिनलैंड में वाइट डेथ को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में याद किया जाता है।

योद्धा का गौरव

वाइट डेथ की इस अद्वितीय उपलब्धि ने उन्हें विश्वभर में प्रसिद्ध किया और उन्हें सैन्य के योद्धा के रूप में गौरवित किया। उनकी वीरता और साहस की कहानी लोगों को प्रेरित करती है और उन्हें एक महान व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है।

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