जंतु ऊतक (Animal Tissue)

  • शरीर की संरचनात्मक इकाई कोशिका है समान कोशिकाएं मिलकर ऊतक बनाती हैं |
  • कई ऊतक मिलकर अंग जैसे; मस्तिष्क, हृदय, यकृत, नेत्र आदि कई अंग मिलकर अंग तंत्र बनाते हैं, जो विशेष कार्य करते हैं जैसे – गुर्दे, मूत्रवाहिनीया एवं मूत्राशय मिलकर उत्सर्जन तंत्र बनाते हैं |
  • जंतुओं के शरीर में विभिन्न प्रकार के अंग तंत्र जैसे; पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, परिसंचरण तंत्र, तंत्रिका तंत्र आदि मौजूद रहते हैं | बहुकोशिकीय जंतुओं में निम्न चार प्रकार के ऊतक पाए जाते हैं |

उपकला ऊतक (Epithelial Tissue)


  • यह ऊतक शरीर के सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं, यह ऊतक शरीर के ऊपर तथा अंदर विभिन्न भागों की भूमिका का आवरण बनाता है | त्वचा, मुंह, आहारनाल तथा फेफड़ों के बाहरी सतह इसी की बनी होती है |
  • इसकी उत्पत्ति भ्रूण के तीनों प्राथमिक जनन स्तरों – एक्टोडर्म, मीसोडर्म एवं एक्टोडर्म से होती है | उपकला उत्तक की कोशिकाएं एक दूसरे से सटी रहती है तथा अंतराल बंधन द्वारा जुड़ी होती हैं, जिसमें रुधिर वाहिनियां अनुपस्थित होती है |
  • यह ऊतक अकोशिकीय आधारी झिल्ली पर स्थित होता है, जो इसके नीचे स्थित संयोजी ऊतक से अलग करती है यह जल एवं अन्य पोषक पदार्थों के अवशोषण में सहायता पहुंचाते हैं |
  • इन ऊतकों के द्वारा घाव भरा जाता है क्योंकि उनमें पुनरुत्पादन की क्षमता बहुत होती है | यह आहार नाल अवशोषण, वृक्क नलिकाओं में पुनर्वाशोषण तथा उत्सर्जन में सहायता करती है |

शरीर की सभी ग्रंथियां उपकला उत्तक से बनती है जो दो प्रकार की होती है |

एककोशिकीय ग्रंथि (Unicellular Glands)

  • जब एक कोशिका स्त्रावण का कार्य करती है, तो उसे एककोशिकीय ग्रंथि कहते हैं | इन ग्रंथियों में प्राय:श्लेष्मा बना रहता है, जो स्त्रावित होकर संवर्धित सतह गीला रखता है | जैसे श्वसन तथा तथा आहार नाल में उपस्थित चषक कोशिकाएं |

बहुकोशिकीय ग्रंथि (Multicellular Glands) –

  • इसके अंतर्गत अनेक कोशिकाएं स्त्रावण करने के लिए समूह बना लेती हैं यह समूह में बहुकोशिकीय ग्रंथि कहलाती है |

ये दो प्रकार की होती हैं

अंतः स्त्रावी ग्रंथियां (Endocrine Glands) –

  • ग्रंथियों का सतह से संबंध समाप्त हो जाता है तथा इनके स्त्रावण (हार्मोन) इधर-उधर में पहुंच चुके हैं जैसे – पीयूष ग्रंथि, थायराइड ग्रंथि आदि |

बहि: स्त्रावी ग्रंथियां (Exocrine lands)

  • इनमें स्त्रावण नलिकाओं द्वारा सतह पर स्त्रवित होते हैं; जैसे-  आमाशय, आंत्रिय, लार ग्रंथियां आदि |



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