• जैन दर्शन की मान्यता है कि समस्त विश्व जीव तथा अजीव नामक दो नित्य एवं स्वतंत्र तत्वों से मिलकर बना है |
  • जीव चेतन है जबकि अजीव जड़ है, यहाँ जीव का अर्थ सार्वभौमिक आत्मा न होकर व्यक्तिगत आत्मा से है |
  • जैन मतानुसार आत्माएं अनेक होती है तथा सृष्टि के कण कण में जीवों का वास है |
  • इसलिए जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन पोषण सार्वभौमिक विधान से हुआ है |

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