ज्ञानपीठ पुरस्कार

  • भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा ये ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाता है।
  • ये संविधान की 8वीं अनुसूची में वर्णित 22 भारतीय भाषाओं में लेखन करने वाले साहित्यकार को साहित्य के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है।
  • इसके तहत 11 लाख रुपए की धनराशि, एक प्रशस्ति-पत्र और मां सरस्वती की काँसे की एक प्रतिमा प्रदान की जाती है।
  • इस पुरस्कार की शुरुआत साल 1965 में हुई थी।
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम के लेखक शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था।
  • हिंदी में सुमित्रानंदन पंत ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले हिन्दी के पहले रचनाकार थे।
  • अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ज्ञानपीठ से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं।

ज्ञानपीठ पुरस्कार 2021और 2022

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2021 और 2022 के लिए क्रमश: 56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा कर दी है।
  • असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन और कोंकणी के साहित्यकार दामोदर मौउजो को यह सम्मान दिया जाएगा।
  • साल 1933 में जन्मे नीलमणि फूकन का असमिया साहित्य में खास स्थान है। उन्होंने कविता की 13 पुस्तकें लिखी हैं। उनको पद्मश्री, साहित्य अकादमी, असम वैली अवॉर्ड और साहित्य अकादमी फैलोशिप जैसे पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
  • साल 1944 में जन्मे दामोदर मौउजो ने करीब 50 साल के अपने लेखन करियर में छह कहानी संग्रह, चार उपन्यास, दो आत्मकथात्मक कृतियां और बाल साहित्य की रचनाएं की है।

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