यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार

यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार वर्ष 2000 में सांस्कृतिक विरासत संरक्षण कार्यक्रम के तहत सांस्कृतिक महत्व की इमारतों को बहाल, संरक्षित करने और बदलने में योगदान करने वाले निजी व्यक्तियों और संगठनों के प्रयासों को मान्यता देने के लिए शुरू किया गया था।

इसका उद्देश्य स्वतंत्र रूप से या सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से ऐतिहासिक संपत्तियों के सार्वजनिक और निजी संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देना है।

UNESCO एशिया-प्रशांत पुरस्कार -2022

छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय बहाली परियोजना को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कारों में उत्कृष्टता का 2022 पुरस्कार मिला। 

इस संस्थान को विश्व विरासत स्मारकों के संरक्षण के लिए मानक स्थापित करने के लिए मान्यता दी गई थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय

द प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में स्थित है।

द प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय को ‘छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय’ के नाम से भी जाना जाता है।

इस संग्रहालय का निर्माण प्रिंस ऑफ वेल्स(जॉर्ज पंचम) के भारत आगमन के समय स्मृति के रूप में किया गया था।

द प्रिंस ऑफ वेल्स ने 11 नवंबर 1905 को इस संग्रहालय की छतरी बिछाई थी।

इस संग्रहालय का उद्घाटन मुंबई के वायसराय लॉयड जॉर्ज की पत्नी लेडी लॉयड ने 10 जनवरी, 1922 को किया।

द प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय के चारों ओर बेहद ही ख़ूबसूरत बाग है।

यह 100 साल पुराना संग्रहालय भारत के प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक काल तक के इतिहास का दस्तावेजीकरण करता है।

यह मुगल, मराठा और जैन जैसी अन्य स्थापत्य शैली के तत्वों को एकीकृत करते हुए वास्तुकला की इंडो-सारासेनिक शैली में बनाया गया था।

यह संग्रहालय वर्तमान में प्राचीन भारत के साथ-साथ विदेशी भूमि से लगभग 50,000 प्रदर्शनों की मेजबानी करता है।

संग्रहालय की कलाकृतियाँ सिंधु घाटी सभ्यता, गुप्त, मौर्य, चालुक्य और राष्ट्रकूट के समय से संबंधित हैं।

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