केंद्रीय सतर्कता आयोग(Central Vigilance Commission-CVC)

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग एक शीर्षस्‍थ सतर्कता संस्‍थान है जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्‍त है। 
  • यह केंद्रीय सरकार के अंतर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है। 
  • यह केंद्रीय सरकारी संगठनों में विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, उनके निष्‍पादन, समीक्षा एवं सुधार करने के संबंध में सलाह देता है। 

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1964 में के. संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निरोधक समिति की सिफारिशों पर सरकार द्वारा CVC की स्थापना की गई थी।
  • वर्ष 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम द्वारा आयोग के सांविधिक दर्जे की पुष्टि कर दी गई।
  • यह एक स्वतंत्र निकाय है जो केवल संसद के प्रति ज़िम्मेदार है।
  • यह अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को सौंपता है।

कार्य

  • दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान  के कार्य CVC की निगरानी एवं नियंत्रण में होते हैं क्योंकि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत अपराधों की जांँच से संबंधित है।
  • CVC भ्रष्टाचार या कार्यालय के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतें प्राप्त होने पर उचित कार्रवाई की सिफारिश करता है। 
  • निम्नलिखित संस्थाएँ, निकाय या व्यक्ति CVC के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं- केंद्र सरकार, लोकपाल, सूचना प्रदाता/मुखबिर/सचेतक
  • CVC की अपनी कोई अन्वेषण एजेंसी नहीं है।
  • यह CBI तथा केंद्रीय संगठनों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों पर निर्भर है जबकि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत CBI की अपनी अन्वेषण विंग है।

संरचना

  • यह एक बहु-सदस्यीय आयोग है जिसमें एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (अध्यक्ष) और अधिकतम दो सतर्कता आयुक्त (सदस्य) शामिल होते हैं। 

आयुक्तों की नियुक्ति

  • केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), गृह मंत्री (सदस्य) और लोकसभा में विपक्ष का नेता (सदस्य) शामिल होता है। 

कार्यकाल

  • इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष (जो भी पहले हो) तक होता है।  

पदच्युत

राष्ट्रपति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त या अन्य किसी भी सतर्कता आयुक्त को उसके पद से किसी भी समय निम्नलिखित परिस्थितियों में हटा सकता है-

  • यदि वह दिवालिया घोषित हो
  • यदि वह नैतिक आधार पर किसी अपराध में दोषी पाया गया हो,
  • यदि वह अपने कार्यकाल में कार्यक्षेत्र से बाहर किसी प्रकार का लाभ का पद ग्रहण करता हो,
  • यदि वह मानसिक या शारीरिक कारणों से कार्य करने में असमर्थ हो
  • यदि वह आर्थिक या इस प्रकार के कोई अन्य लाभ प्राप्त करता हो जिससे कि आयोग के कार्यों में वह पूर्वग्रह युक्त हो। 
  • इसके अलावा केंद्रीय सतर्कता आयुक्त या अन्य किसी भी सतर्कता आयुक्त को दुराचार व अक्षमता के आधार पर भी पद से हटाया जा सकता है, अगर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन्हें जांँच में दोषी पाया जाता है। 
  • वे राष्ट्रपति को पत्र लिखकर भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

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