एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम(Integrated Guided Missile Development Programme-IGMDP)
- भारत ने प्रतिरक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए 1983 में एक महत्वकांक्षी परियोजना ‘समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम’ की आधरशिला रखी
- IGMDP की स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था।
- इसका उद्देश्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना था।
- इसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 1983 में अनुमोदित किया गया था और मार्च 2012 में पूरा किया गया था।
- IGMDP के अन्तर्गत किए जाने वाले अनुसंधान और विकास की जिम्मेदारी ‘रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन’(DRDO) को सौंपी गई।
- भारतीय प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का महत्वपूर्ण सहयोग मिला है
IGMDP के तहत 5 मिसाइल प्रणालियों (P-A-T-N-A) का विकास किया गया है।
- पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
- अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल, यानी अग्नि (1,2,3,4,5)।
- त्रिशूल: सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।
- नाग: तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल।
- आकाश: सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।