‘थैलासीमिया’ क्या है ?

‘थैलासीमिया एक ऐसा आनुवंशिक रोग है, जिससे पीड़ित शिशु में जन्म के कुछ माह बाद ही अत्यधिक अरस्तता हो जाती है । उसे जीवित रखने के लिए उसे बाहरी रक्त देना अनिवार्य हो जाता है। इस रक्ताधान की क्रिया को जीवनपर्यन्त 658 सप्ताह के अन्तराल से दोहराना पड़ता है । इस रोग से बचने के लिए यह आवश्यक है कि स्क्रीनिंग परीक्षण के बाद ‘थैलासीमिया से पीड़ित व्यक्ति को सलाह दी जाय कि वह उसी जीन की विषम युक्मजो व्यक्ति से विवाह न करे अन्यथा उनकी संतान भी थैलीसीमिया से पीड़ित हो सकती है।

महिलाओं में मासिक धर्म कैसे होता है ?

महिलाओं में इस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन नामक हार्मोन के स्तर में गिरावट के साथ ही मासिक धर्म की शुरुआत हो जाती है । इसी के साथ ‘एन्डोमेट्रियम’ (जहाँ डिम्ब का निर्माण होता है) गर्भाशय से निकलकर बाहर की ओर चल पड़ता है । एन्डोमेट्रियम का बाहर निकलना ही मासिक स्राव कहलाता है ।

“क्या हम लोग पौधों द्वारा उत्पन्न आवाज सुन सकते है ?

वास्तव में पौधों पर जब किसी प्रकार का दबाव डाला जाता है तो वे एथिलीन गैस छोड़ते है। जब वैज्ञानिक इस एथिलीन गैस के अणुओं को लेसर किरण के माध्यम से उत्प्रेरित करते है, तो इनसे “शांक” तरंगे निकलने लगती है, जिनका विस्तार करके पौधों की आवाज या संदेश को सुना जा सकता है।

“री० एजेन्ट” क्या है ?

“री० एजेन्ट” एक प्रकार का रसायन है जिसका उपयोग दूध में मिलावट ज्ञात करने हेतु किया जाता है । इस रसायन की एक बूंद डालने मात्र से छह सेकेण्ड के अन्दर यह ज्ञात हो जाता है कि नमूने में लिया गया दूध “प्राकृतिक है अथवा “सिन्थेटिक”।

सिड्स(SIDS) क्या है ?

यह एक रहस्यमय बीमारी है, जिसका पूरा नाम-‘अकस्मात शिशु मृत्यु लक्षण’ (Sudden Infant Death Syndrome) है । इसमें शिशुओं की सोते समय मृत्यु हो जाती है । मरने से पहले उनमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं होता है और न ही वे रोते हैं । इसे ‘शैया मृत्यु” भी कहा जाता है। इस रोग के सम्भवत: दो कारण हैं, पहला–जन्म के समय शिशुओं का वजन कम होना और दूसरा महिलाओं का जल्दी- जल्दी गर्भ धारण करना ।

नियततापी (Hot blooded) और अनियततापी (Cold blooded) जीवों में क्या अन्तर है?

नियततापी जीवों के शरीर का ताप हर समय एक समान बना रहता है। जैसे-मनुष्य । अनियततापी जीवों का तापमान वातावरण के तापमान साथ-साथ घटता-बढ़ता रहता है । उदाहरण-मेढ़क, छिपकली, साँप इत्यादि।

मेढ़क गर्मी और जाड़े में जमीन के अन्दर क्यों चला जता है ?

मेढ़क एक अनियततापी जीव है । अतः वातावरण के अनुसार उसके शरीर का ताप बदलता है । अत्यधिक जाड़े और गर्मी से बचने के लिए मेढक जमीन केअंदर चला जाता है।

कार्बन मोनोक्साइड मनुष्य के लिए हानिकारक है, जबकि कीड़े-मकोड़ों के लिए नहीं, क्यों?

कार्बन मोनोक्साइड मनुष्य के लिए घातक होती है, क्योंकि यह हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर स्थाई यौगिक बना लेता है, और हीमोग्लोबिन को आक्सीजन परिवहन व्यवस्था को नष्ट कर देती है । कीड़े-मकोड़ों में रक्त रंजक हीमोसायनिन होता है जो कार्बन मोनोक्साइड से क्रिया नहीं करता है। अत: कीड़े-मकोड़ों पर कार्बन मोनोक्साइड का प्रभाव नहीं पड़ता है।

पौधों के बिना पृथ्वी पर जन्तुओं का अस्तित्व कैसे नहीं रह सकता है?

जन्तुओं में श्वसन के दौरान आक्सीजन ग्रहण की जाती है, और कार्बन-डाई-आक्साइड का उपयोग होता है और आक्सीजन बाहर निकलती है। अब यदि प्रकाश संश्लेषण न हो तो पृथ्वी पर कार्बन डाई-आक्साइड की अधिकता और आवसीजन की कमी हो जायेगी जिससे जीवन सम्भव नहीं होगा।

रेगिस्तानी पौधों में पत्तियों की अपेक्षा काटे क्यों होते हैं ?

पौधों की पत्नियों से वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) क्रिया होती है, जिसमें पौधो से पानी वाष्प के रूप में बाहर निकलता है। रेगिस्तानी भागों में पानी की कमी रहती है ! अह. पौधों में एक अनुकूलता उत्पन्न हो जाती है, जिससे पत्तियों के स्थान पर काटे निकल आते हैं। इन काँटो से वाष्पोत्सर्जन बहुत ही कम होता है, और पौधा रेगिस्तान में जीवित रहता है।

बीज के अंकुरण के लिए क्या-क्या आवश्यक होता है ?

बीजों के अंकुरण के लिए नमी, आक्सीजन और उचित तापक्रम की आवश्यकता होती है । अकुरण के लिए प्रकाश आवश्यक नहीं होता है ।

अम्लीय वर्षा {Acid rain) क्या होता है?

वर्षा के जल में जब वायु प्रदूषणकारी पदार्थ मिल जाते हैं, तब इस वर्षा को अम्लीय वषां कहते हैं । अम्लीय वर्षा में सल्फर-डाई-आक्साइड मुख्य घटक होता है यह पानी के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक अम्ल बनाता है । 1972 में स्वीडन में पहली बार अम्लीय वर्षा हुई थी।

कुछ जन्तुओं की आंखें रात को क्यों चमकती हैं ?

रात में आँखों का चमकना बिल्ली कुल (फेलिडी) और अनेक रात्रिचर प्राणियों का एक विशिष्ट गुण है । आँखों पर प्रकाश पड़ने के कारण दिखाई देने वाली आंखों को यह चमक शीशे जैसी तथा आँखों में पीछे की ओर स्थित ‘टेपिटम ल्यूसिडम’ परत के कारण होती है। यह परत ग्यूनिन तथा राइबोफ्लेविन के सघन क्रिस्टलों, जिंग यौगिकों, कोलेजिनी तन्तुओं और लिपिड की बूंदों की बनी होती है । ‘टेपिटम ल्यूमिडम’ परत प्रकाश को परावर्तित करके, प्राणियों को कम प्रकाश में रात्रि में देखने के अनुकूल बनाती है ।

गर्मियों में बनाया गया भोजन देर तक रखने पर खट्टा या खराब क्यों हो जाता है?

गर्मियों में भोजन का खराब या खट्टा होना जीवाणुओं के कारण होता है। जीवाणुओं के जीवित रहने के लिए उच्च तापमान और उच्च आर्दता बहुत ही सहायक होती है, जो गर्मियों में रहती ही है। इसीलिए भोजन को कम तापमान में, फ्रिज में या शीत पानी के बर्तन में रखकर जीवाणुओं से सुरक्षा करते हैं।

हमारे शरीर पर तिल क्यों निकलते हैं?

हमारे शरीर में त्वचा का रंग मेलानिन नामक पदार्थ पर निर्भर करता है। गोरी त्वचा मेलानिन वाली कोशिकाएँ कम होती है, और काले रंग वाली त्वचा में अधिक होती है। कभी-कभी यह मेलानिन वाली कोशिकाएँ एक जगह एकत्रित हो जाती है और तिल बनता है । ये तिल प्राय: कोई नुकसान नहीं करते हैं पर कभी कुछ तिल रंग बदलते हैं, और कैंसर के ट्यूमर—जिसे मेलानामा कहते है ,में बदल जाते हैं

गहरी चोट के ठीक हो जाने के बाद भी उसका निशान क्यों पड़ जाता है?

किसी भी गहरी अथवा मामूली चोट के बाद निशान पड़ना शरीर की सुन्दरता में बाधक हो जाता है । जब चोट में खून बहना बन्द होता है, तो रिक्त स्थान पें खून का थक्का जमा हो जाता है। फिर चोट के चारों ओर की त्वचा का बाहरे हिस्सा बढ़ता हुआ खून के थक्के (Clot) के नीचे पहुँचता है और वहाँ सूखकर एक पपड़ी बना देता है । इस पपड़ी के नीचे रेशेदार ऊतक की मात्रा में वृद्धि हो जाती है, जिससे ऊपर की ओर पपड़ी निकल जाती है, तब उसके नीचे का रेशेदार ऊतक हल्के रंग का होने के कारण निशान के रूप में दिखाई देता है।

शरीर पर पड़ने वाले वायुमण्डल के दबाव का अनुभव क्यों नहीं होता है?

हमारे शरीर में अन्य पदार्थों की तुलना में पानी की मात्रा सबसे अधिक होती । पास्कल के नियमानुसार द्रव पदार्थ द्वारा उत्पन्न दाब सभी दिशाओं में समान रूप से होता है। अत: शरीर पर पड़ने वाले वायुमण्डल के दाब का अनुभव इसलिए नहीं होता क्योंकि, शरीर के अन्दर के तरल पदार्थों द्वारा पड़ने वाला दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर होता है। हम ज्यों-ज्यों ऊपर जाते हैं, तो वायुमंडलीय दाब कम होने के कारण शरीर के दाब का अनुभव होने लगता है। अंतरिक्ष यात्री को इसीलिए दाबमुक्त कमरे की व्यवस्था की जाती है।

जब हम ऊपर की ओर जाते हैं, तो निम्न घटनायें होती है

(1) 7.2 किमी० की ऊँचाई पर जाने पर रक्त में धुली नाइट्रोजन बुलबुले के रूप में निकलती है, क्योंकि वायुमण्डलीय दाब कम हो जाता है।

(2) 16 किमी० की ऊँचाई पर जाने पर फेफड़ों में आक्सीजन का अभाव हो जाता है

 (3) अधिक ताप और विकिरण के कारण कोशिकाओं का कार्य और संतुलन बिगड़ जाता है।

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