फेयरबैंक्स रोग

  • ‘फेयरबैंक्स’ रोग या मल्टीपल एपिफेसियल डिसप्लेसिया (MED) एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार (10,000 जन्मों में से केवल 1) है जो हड्डियों के बढ़ते हिस्सों को प्रभावित करता है।
  • हड्डियाँ आमतौर पर एक विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा बढ़ती हैं, जिसमें हड्डियों के सिरों पर उपास्थि का जमा होना शामिल होता है, इसे ‘ऑसिफिकेशन’ कहा जाता है।
  • यह कार्टिलेज फिर खनिज बन जाता है और हड्डी बनने के लिये कठोर हो जाता है। ‘मल्टीपल एपिफेसियल डिसप्लेसिया’ रोग के तहत यह प्रक्रिया दोषपूर्ण एवं बाधित हो जाती है।
  • फेयरबैंक्स रोग (मल्टीपल एपिफेसियल डिसप्लेसिया) के रोगी को आमतौर पर दर्द एवं आर्थोपेडिक प्रक्रियाओं के प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जिसके लिये भारत में देखभाल संस्थानों में सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

एक्रोमेगाली विकार

  • एक्रोमेगाली एक हार्मोनल विकार है, जिसमें हाथों, पैरों और चेहरे में असामान्य वृद्धि होती है।
  • यह विकार मुख्य रूप से पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा उत्पादित ग्रोथ हार्मोन (GH) के अत्यधिक उत्पादन के कारण होता है।
  • पिट्यूटरी ग्रंथि, मस्तिष्क के आधार में स्थित एक छोटी ग्रंथि और ‘मास्टर ग्लैंड’ कहलाती है, क्योंकि यह शरीर में कुछ महत्त्वपूर्ण हार्मोन का संश्लेषण करती है।
  • इस ग्रंथि की अत्यधिक वृद्धि के कारण आसपास के तंत्रिका ऊतक और ऑप्टिक नसें संकुचित हो जाती हैं। इससे हड्डियों का विकास होता है और अंगों का आकार बड़ा हो जाता है।
  • नींद न आना, अत्यधिक थकान, कर्कश आवाज़, अत्यधिक पसीना, बार-बार सिरदर्द, असामान्य वजन बढ़ना, शरीर से दुर्गंध आना, जबड़े या जीभ का बढ़ना आदि इसके लक्षण है।

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