संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद , संयुक्त राष्ट्र (UN) की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका प्राथमिक कार्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखना है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपना पहला सत्र 17 जनवरी, 1946 को वेस्टमिंस्टर, लंदन में आयोजित किया था।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिसमें से 5 स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।
  • सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन शामिल हैं और स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है।
  • पाँच स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को क्षेत्रीय आधार पर दो वर्ष के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है। 
  • यदि विश्व में कहीं भी सुरक्षा संकट उत्पन्न होता है तो उस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष लाया जाता है, जिसके पश्चात् यह परिषद मध्यस्थता और विशेष दूत की नियुक्ति जैसी विधियों के माध्यम से विभिन्न पक्षों के मध्य समझौता कराने का प्रयास करती है। 
  • यह परिषद संयुक्त राष्ट्र महासचिव से भी उस विवाद को सुलझाने का अनुरोध कर सकती है।
  • यदि किसी क्षेत्र में मामला बढ़ता है तो सुरक्षा परिषद वहाँ युद्धविराम के निर्देश जारी कर सकता है और शांति सेना तथा सैन्य पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर सकता है।
  • यदि परिस्थितियाँ बहुत विकट होती हैं, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुरक्षात्मक प्रतिबंध और वित्तीय दंड भी अधिरोपित कर सकता है।

वीटो अधिकार

  • संयुक्त राष्ट्रसंघ के कुल 193 सदस्य हैं।
  • संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद् में पांच स्थायी सदस्य हैं।
  • दुनिया में स्थिरता क़ायम करने के लिए 5 देशों को स्थायी सदस्य्ता दी गई है।
  • स्थाई सदस्यों देशो में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन तथा फ्रांस है और इन्हीं पांच स्थाई सदस्यों देशो को वीटो की सदस्यता प्राप्त है । इन पांच सदस्यों के पास ही वीटो की पावर है
  • स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार है जबकि अस्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार नहीं है।
  • वीटो, लैटिन शब्द का अर्थ है “मैं निषेध करता हूँ “, किसी देश के अधिकारी को एकतरफा रूप से किसी कानून को रोक लेने का यह एक अधिकार है।
  • वीटो के तहत यदि कोई भी एक स्थायी सदस्य प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट देता है तो उस प्रस्ताव को मंज़ूर नहीं किया जा सकता। लेकिन यदि कोई स्थायी सदस्य मतदान के समय मौजूद नहीं रहता है तो उस पर मज़ूरी की मोहर लग सकती है।
  • शीत युद्ध के बाद वीटो के अधिकार के इस्तेमाल में कमी से सुरक्षा परिषद एक प्रभावी संस्था के रुप में उभरी है।
  • सुरक्षा परिषद इस बात को बहुत तरजीह देती है कि सशस्त्र संघर्ष न हों। लेकिन यदि विवाद बढ़ जाता है तो परिषद उसे सुलझाने के लिए सबसे पहले कूटनीतिक समाधान का सहारा लेती है।
  • यदि विवाद फिर भी जारी रहता है तो परिषद संघर्ष विराम लागू करने और शांतिसेना तैनात करने पर विचार करती है।
  • परिषद संयुक्त राष्ट्र देशों को प्रतिबंध लागू करने का आदेश भी दे सकती है। अंतिम समाधान के रुप में यह आक्रमणकारी देश के विरुद्ध सैनिक कार्रवाई का अधिकार भी दे सकती है।

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