नवरोज़

  • नवरोज़ को पारसी नव वर्ष के नाम से भी जाना जाता है।
  • फारसी में ‘नव’ का अर्थ है नया और ‘रोज़’ का अर्थ है दिन, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘नया दिन’।
  • वैश्विक स्तर पर इसे मार्च में मनाया जाता है।
  • नवरोज़ भारत में 200 दिन बाद आता है और अगस्त के महीने में मनाया जाता है क्योंकि यहांँ पारसी शहंशाही कैलेंडर को मानते हैं जिसमें लीप वर्ष नहीं होता है।
  • भारत में नवरोज़ को फारसी राजा जमशेद के नाम पर जमशेद-ए-नवरोज़  के नाम से भी जाना जाता है। 
  • राजा जमशेद को शहंशाही कैलेंडर बनाने का श्रेय दिया जाता है।
  • इस त्योहार की खास बात यह है कि भारत में लोग इसे वर्ष में दो बार मनाते हैं- पहला ईरानी कैलेंडर के अनुसार और दूसरा शहंशाही कैलेंडर के अनुसार, जिसका पालन भारत और पाकिस्तान के लोग करते हैं। यह त्योहार जुलाई और अगस्त माह के मध्य आता है।
  • इस परंपरा का पालन विश्व भर में ईरानियों और पारसियों द्वारा किया जाता है।
  • वर्ष 2009 में नवरोज़ को यूनेस्को द्वारा भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल  किया गया था।
  • इस प्रतिष्ठित सूची में उन अमूर्त विरासत तत्त्वों को शामिल किया जाता है जो सांस्कृतिक विरासत की विविधता को प्रदर्शित करने और इसके महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करते हैं।

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